"राजपूत": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
सच टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
No edit summary टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
||
पंक्ति 17:
==इतिहास==
'''मुगल नहीं राजपूत थे शाहजहां, ताज पर सवाल क्यों?'''
'''मुगल नहीं राजपूत थे शाहजहां, ताज पर सवाल क्यों?'''
'''मुग़ल असल में कोई कौम नहीं थी और बाबर और हुमायूं के बाद वो पूरी तरह मुग़ल भी नहीं रहे थे.'''
'''मुग़ल असल में कोई कौम नहीं थी और बाबर और हुमायूं के बाद वो पूरी तरह मुग़ल भी नहीं रहे थे.'''
'''अफसर अहमद'''
'''अगर आप ताजमहल को भारतीय इतिहास पर धब्बा मानते हैं तो यक़ीनन मुग़ल विरासत को भी मानेंगे. लेकिन अगर ये कहें कि जिन्होंने ताजमहल बनाया, वह मुगल नहीं थे, तब आप क्या कहेंगे?'''
'''अगर आप इतिहास को खंगालेंगे तो पता चलता है कि मुग़ल असल में कोई कौम नहीं थी और बाबर और हुमायूं के बाद वो पूरी तरह मुग़ल भी नहीं रहे थे.'''
'''इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगर मुग़लों पर सवाल उठाया जाता है तो वो राजपूत और जाटों पर सवाल उठाने जैसा होगा. क्योंकि अकबर के ज़माने से ही तक़रीबन हर मुग़ल शासक की रगों में राजपूती ख़ून बह रहा था.'''
'''विज्ञापन'''
'''इसे मानने की दो वजह हैं. पहली मुगलों की भारतीय शासकों के परिवारों में हुई शादियां और दूसरी मुग़लों की फ़ौज और प्रशासन में उनका दखल.'''
'''ख़ून का सवाल'''
'''अकबर जानता था कि हिंदुस्तान में जड़ें जमाने के लिए उसे राजपूतों का भरोसा जीतना ज़रूरी था. और इसके लिए उसने तरीक़ा निकाला– पारिवारिक संबंध. नतीजतन, अकबर के वक़्त मुग़लों की राजपूतों से कुल 34 शादियां हुईं. इसके बाद तो मानो रास्ता खुल गया. जहांगीर के वक़्त 7, शाहजहां के वक़्त 4 और औरंगज़ेब के वक़्त मुग़ल शासकों की राजपूतों से कुल 8 शादियां हुईं. जहांगीर की मां मरियम उज़ ज़मानी यानी जोधाबाई राजपूत महिला थी (हालांकि इसे लेकर विवाद भी है). मगर जहांगीर की हिंदू पत्नी जगत गोसाईं शाहजहां की मां थीं.'''
'''1562 से लेकर 1707 में औरंगज़ेब की मौत तक इन मुग़ल शासकों ने राजपूतों के साथ शादियां की थीं. जिनमें से तक़रीबन सभी के रिकॉर्ड मौजूद हैं.'''
'''आइए डालते हैं मुग़ल-राजपूत वैवाहिक संबंधों पर एक नजर'''
'''- जनवरी 1562- राजा भारमल की बेटी से अकबर की शादी (कछवाहा-अंबेर)'''
'''- 15 नवंबर 1570- राय कल्याण सिंह की भतीजी से अकबर की शादी (राठौर-बीकानेर)'''
'''- 1570- मालदेव की बेटी रुक्मावती का अकबर से विवाह (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 1573 - नगरकोट के राजा जयचंद की बेटी से अकबर की शादी (नगरकोट)'''
'''- मार्च 1577- डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)'''
'''- 1581- केशवदास की बेटी की अकबर से शादी (राठौर-मोरता)'''
'''- 16 फरवरी, 1584- भगवंत दास की बेटी से राजकुमार सलीम (जहांगीर) की शादी (कछवाहा-आंबेर)'''
'''- 1587- जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से जहांगीर का विवाह (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 2 अक्टूबर 1595- रायमल की बेटी से अकबर के बेटे दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 28 मई 1608- राजा जगत सिंह की बेटी से जहांगीर की शादी (कछवाहा-आंबेर)'''
'''- 1 फरवरी, 1609- रामचंद्र बुंदेला की बेटी से जहांगीर का विवाह (बुंदेला, ओरछा)'''
'''- अप्रैल 1624- राजा गजसिंह की बहन से जहांगीर के बेटे राजकुमार परवेज की शादी (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 1654- राजा अमर सिंह की बेटी से दाराशिकोह के बेटे सुलेमान की शादी (राठौर-नागौर)'''
'''- 17 नवंबर 1661- किशनगढ़ के राजा रूपसिंह राठौर की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. मुअज़्ज़म की शादी (राठौर-किशनगढ़)'''
'''- 5 जुलाई 1678- राजा जयसिंह के बेटे कीरत सिंह की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. आज़म की शादी (कछवाहा-आंबेर)'''
'''- 30 जुलाई 1681- अमरचंद की बेटी औरंगज़ेब के बेटे कामबख्श की शादी (शेखावत-मनोहरपुर)'''
'''कई राजपूत बच्चों ने पाई गद्दी'''
'''1587 में जहांगीर और मोटा राजा की बेटी जगत गोसांई की शादी हुई, जिससे 5 जनवरी 1592 को लाहौर में शाहजहां पैदा हुआ. अकबर ने जन्म के छठे दिन खुशी में उसका नाम खुर्रम (खुशी) रखा. जहांगीर की पत्नी नूरजहां का काफ़ी ज़िक्र होता है पर शेर के हमले से उन्हें असल में उनकी राजपूत बीवी जगत गोसांईं ने ही बचाया था. तुज़ुक-ए-जहांगीरी के मुताबिक़ उन्होंने पिस्तौल भरकर शेर पर चलाई, जिसके बाद जहांगीर की जान बची. नूरजहां ने इसके बाद ख़ुद शिकार करना सीखा.'''
'''यानी शाहजहां के बेटे औरंगज़ेब की दादी एक राजपूत थी. ग़ौरतलब यह भी है कि मुग़लों और राजपूतों के बीच शादियां औरंगज़ेब के समय भी जारी रहीं. ख़ुद औरंगज़ेब की दो पत्नियां हिंदू थीं. और उनसे पैदा हुए बच्चे कई बार बाक़ायदा उत्तराधिकार की जंग में जीते.'''
'''‘शाहजहां को मुसलमान कहना ही ग़लत’'''
'''क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. स्कंद शुक्ला कहते हैं कि मुग़ल बादशाहों और राजपूत रानियों से पैदा होने वाली संतानें दरअसल आधी राजपूत होंगी. उनका कहना है कि जेनेटिक्स के मुताबिक़ संतान में आधे गुण यानी 23 क्रोमोसोम पिता से और 23 क्रोमोसोम मां से आते हैं. चूंकि मुग़लों के परिवार पितृसत्तात्मक थे इसलिए उन्हें मुग़ल माना गया मगर जैविक तौर पर वो आधे भारतीय हो चुके थे. यही नहीं, डॉ स्कंद कहते हैं कि अगर इस तरह की शादियां लगातार जारी रहती हैं तो अगली पीढ़ियां पिछले गुणों को खो देती हैं. वह कहते हैं कि मेडिकल साइंस के नज़रिए से बाद की पीढ़ियों में राजपूती गुण ज़्यादा और विदेशी मूल के गुण कम हो गए होंगे.'''
'''राजपूतों की बेटियों का असर'''
'''राजपूतों की बेटियां सिर्फ हरम तक सीमित नहीं थीं. वो बादशाहों के फैसले प्रभावित करतीं थीं. बदायूंनी लिखता है कि अकबर ने अपनी हिंदू पत्नियों के कहने पर बीफ़, लहसुन-प्याज़ खाना छोड़ दिया था. 1604 में हमीदा बानो बेग़म की मौत के बाद अकबर ने सिर मुंडवाया था, क्योंकि यह हिंदू रानी की इच्छा थी. 1627 में शाहजहां की राठौर पत्नी जोधपुर में 8 दिन सिर्फ़ इसलिए रुकी ताकि वह अपने पति शाहजहां के लिए ज़रूरी समर्थन जुटा सके. 1605 में जहांगीर ने अपनी हिंदू पत्नी की मौत के ग़म में 4 दिन खाना नहीं खाया. तुज़ुक-ए-जहांगीरी में इसका तफ़सील से ज़िक्र है.'''
'''मुग़ल फ़ौज में सिर्फ़ मुसलमान नहीं थे'''
'''मुग़ल ताक़त को खड़ा करने वाले विदेशी मूल के नहीं बल्कि पूरी तरह भारतीय और अपनी बहादुरी के लिए मशहूर राजपूत, जाट और पठान थे. बर्नियर बताते हैं कि मुग़ल फ़ौज में राजपूत, पठान, ईरानी, तुर्क और उज़्बेक शामिल थे और इनमें जो गोरा यानी सफ़ेद रंग का होता था तो उसे मुग़ल मान लिया जाता था. मुग़ल सेना में पैदल, घुड़सवार और तोपखाना तीनों में कुल का 80 फ़ीसदी से ज़्यादा राजपूत, जाट और पठान होते थे और बाक़ी विदेशी मूल के सैनिक.'''
'''यही नहीं सेना में मनसबदारों को पैदल और सवार जाट, राजपूत या पठान मिलते थे. मिसाल के लिए बादशाह की ओर से इक हज़ारी की पदवी का मतलब था उस'''
'''Live TV'''
'''Hindi News » देश'''
'''मुगल नहीं राजपूत थे शाहजहां, ताज पर सवाल क्यों?'''
'''मुगल नहीं राजपूत थे शाहजहां, ताज पर सवाल क्यों?'''
'''मुग़ल असल में कोई कौम नहीं थी और बाबर और हुमायूं के बाद वो पूरी तरह मुग़ल भी नहीं रहे थे.'''
'''मुग़ल असल में कोई कौम नहीं थी और बाबर और हुमायूं के बाद वो पूरी तरह मुग़ल भी नहीं रहे थे.'''
'''SHARE THIS:'''
'''विज्ञापन'''
'''NEWS18HINDI'''
'''LAST UPDATED:NOVEMBER 1, 2017, 6:55 PM IST'''
'''अफसर अहमद'''
'''अगर आप ताजमहल को भारतीय इतिहास पर धब्बा मानते हैं तो यक़ीनन मुग़ल विरासत को भी मानेंगे. लेकिन अगर ये कहें कि जिन्होंने ताजमहल बनाया, वह मुगल नहीं थे, तब आप क्या कहेंगे?'''
'''अगर आप इतिहास को खंगालेंगे तो पता चलता है कि मुग़ल असल में कोई कौम नहीं थी और बाबर और हुमायूं के बाद वो पूरी तरह मुग़ल भी नहीं रहे थे.'''
'''इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगर मुग़लों पर सवाल उठाया जाता है तो वो राजपूत और जाटों पर सवाल उठाने जैसा होगा. क्योंकि अकबर के ज़माने से ही तक़रीबन हर मुग़ल शासक की रगों में राजपूती ख़ून बह रहा था.'''
'''विज्ञापन'''
'''इसे मानने की दो वजह हैं. पहली मुगलों की भारतीय शासकों के परिवारों में हुई शादियां और दूसरी मुग़लों की फ़ौज और प्रशासन में उनका दखल.'''
'''ख़ून का सवाल'''
'''अकबर जानता था कि हिंदुस्तान में जड़ें जमाने के लिए उसे राजपूतों का भरोसा जीतना ज़रूरी था. और इसके लिए उसने तरीक़ा निकाला– पारिवारिक संबंध. नतीजतन, अकबर के वक़्त मुग़लों की राजपूतों से कुल 34 शादियां हुईं. इसके बाद तो मानो रास्ता खुल गया. जहांगीर के वक़्त 7, शाहजहां के वक़्त 4 और औरंगज़ेब के वक़्त मुग़ल शासकों की राजपूतों से कुल 8 शादियां हुईं. जहांगीर की मां मरियम उज़ ज़मानी यानी जोधाबाई राजपूत महिला थी (हालांकि इसे लेकर विवाद भी है). मगर जहांगीर की हिंदू पत्नी जगत गोसाईं शाहजहां की मां थीं.'''
'''1562 से लेकर 1707 में औरंगज़ेब की मौत तक इन मुग़ल शासकों ने राजपूतों के साथ शादियां की थीं. जिनमें से तक़रीबन सभी के रिकॉर्ड मौजूद हैं.'''
'''विज्ञापन'''
'''आइए डालते हैं मुग़ल-राजपूत वैवाहिक संबंधों पर एक नजर'''
'''- जनवरी 1562- राजा भारमल की बेटी से अकबर की शादी (कछवाहा-अंबेर)'''
'''- 15 नवंबर 1570- राय कल्याण सिंह की भतीजी से अकबर की शादी (राठौर-बीकानेर)'''
'''- 1570- मालदेव की बेटी रुक्मावती का अकबर से विवाह (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 1573 - नगरकोट के राजा जयचंद की बेटी से अकबर की शादी (नगरकोट)'''
'''- मार्च 1577- डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)'''
'''- 1581- केशवदास की बेटी की अकबर से शादी (राठौर-मोरता)'''
'''- 16 फरवरी, 1584- भगवंत दास की बेटी से राजकुमार सलीम (जहांगीर) की शादी (कछवाहा-आंबेर)'''
'''- 1587- जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से जहांगीर का विवाह (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 2 अक्टूबर 1595- रायमल की बेटी से अकबर के बेटे दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 28 मई 1608- राजा जगत सिंह की बेटी से जहांगीर की शादी (कछवाहा-आंबेर)'''
'''- 1 फरवरी, 1609- रामचंद्र बुंदेला की बेटी से जहांगीर का विवाह (बुंदेला, ओरछा)'''
'''- अप्रैल 1624- राजा गजसिंह की बहन से जहांगीर के बेटे राजकुमार परवेज की शादी (राठौर-जोधपुर)'''
'''- 1654- राजा अमर सिंह की बेटी से दाराशिकोह के बेटे सुलेमान की शादी (राठौर-नागौर)'''
'''- 17 नवंबर 1661- किशनगढ़ के राजा रूपसिंह राठौर की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. मुअज़्ज़म की शादी (राठौर-किशनगढ़)'''
'''- 5 जुलाई 1678- राजा जयसिंह के बेटे कीरत सिंह की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. आज़म की शादी (कछवाहा-आंबेर)'''
'''- 30 जुलाई 1681- अमरचंद की बेटी औरंगज़ेब के बेटे कामबख्श की शादी (शेखावत-मनोहरपुर)'''
'''कई राजपूत बच्चों ने पाई गद्दी'''
'''1587 में जहांगीर और मोटा राजा की बेटी जगत गोसांई की शादी हुई, जिससे 5 जनवरी 1592 को लाहौर में शाहजहां पैदा हुआ. अकबर ने जन्म के छठे दिन खुशी में उसका नाम खुर्रम (खुशी) रखा. जहांगीर की पत्नी नूरजहां का काफ़ी ज़िक्र होता है पर शेर के हमले से उन्हें असल में उनकी राजपूत बीवी जगत गोसांईं ने ही बचाया था. तुज़ुक-ए-जहांगीरी के मुताबिक़ उन्होंने पिस्तौल भरकर शेर पर चलाई, जिसके बाद जहांगीर की जान बची. नूरजहां ने इसके बाद ख़ुद शिकार करना सीखा.'''
'''यानी शाहजहां के बेटे औरंगज़ेब की दादी एक राजपूत थी. ग़ौरतलब यह भी है कि मुग़लों और राजपूतों के बीच शादियां औरंगज़ेब के समय भी जारी रहीं. ख़ुद औरंगज़ेब की दो पत्नियां हिंदू थीं. और उनसे पैदा हुए बच्चे कई बार बाक़ायदा उत्तराधिकार की जंग में जीते.'''
'''‘शाहजहां को मुसलमान कहना ही ग़लत’'''
'''क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. स्कंद शुक्ला कहते हैं कि मुग़ल बादशाहों और राजपूत रानियों से पैदा होने वाली संतानें दरअसल आधी राजपूत होंगी. उनका कहना है कि जेनेटिक्स के मुताबिक़ संतान में आधे गुण यानी 23 क्रोमोसोम पिता से और 23 क्रोमोसोम मां से आते हैं. चूंकि मुग़लों के परिवार पितृसत्तात्मक थे इसलिए उन्हें मुग़ल माना गया मगर जैविक तौर पर वो आधे भारतीय हो चुके थे. यही नहीं, डॉ स्कंद कहते हैं कि अगर इस तरह की शादियां लगातार जारी रहती हैं तो अगली पीढ़ियां पिछले गुणों को खो देती हैं. वह कहते हैं कि मेडिकल साइंस के नज़रिए से बाद की पीढ़ियों में राजपूती गुण ज़्यादा और विदेशी मूल के गुण कम हो गए होंगे.'''
'''राजपूतों की बेटियों का असर'''
'''राजपूतों की बेटियां सिर्फ हरम तक सीमित नहीं थीं. वो बादशाहों के फैसले प्रभावित करतीं थीं. बदायूंनी लिखता है कि अकबर ने अपनी हिंदू पत्नियों के कहने पर बीफ़, लहसुन-प्याज़ खाना छोड़ दिया था. 1604 में हमीदा बानो बेग़म की मौत के बाद अकबर ने सिर मुंडवाया था, क्योंकि यह हिंदू रानी की इच्छा थी. 1627 में शाहजहां की राठौर पत्नी जोधपुर में 8 दिन सिर्फ़ इसलिए रुकी ताकि वह अपने पति शाहजहां के लिए ज़रूरी समर्थन जुटा सके. 1605 में जहांगीर ने अपनी हिंदू पत्नी की मौत के ग़म में 4 दिन खाना नहीं खाया. तुज़ुक-ए-जहांगीरी में इसका तफ़सील से ज़िक्र है.'''
'''मुग़ल फ़ौज में सिर्फ़ मुसलमान नहीं थे'''
'''मुग़ल ताक़त को खड़ा करने वाले विदेशी मूल के नहीं बल्कि पूरी तरह भारतीय और अपनी बहादुरी के लिए मशहूर राजपूत, जाट और पठान थे. बर्नियर बताते हैं कि मुग़ल फ़ौज में राजपूत, पठान, ईरानी, तुर्क और उज़्बेक शामिल थे और इनमें जो गोरा यानी सफ़ेद रंग का होता था तो उसे मुग़ल मान लिया जाता था. मुग़ल सेना में पैदल, घुड़सवार और तोपखाना तीनों में कुल का 80 फ़ीसदी से ज़्यादा राजपूत, जाट और पठान होते थे और बाक़ी विदेशी मूल के सैनिक.'''
'''यही नहीं सेना में मनसबदारों को पैदल और सवार जाट, राजपूत या पठान मिलते थे. मिसाल के लिए बादशाह की ओर से इक हज़ारी की पदवी का मतलब था उस मनसबदार को 1000/1000 यानी एक हज़ार पैदल जाट और एक हज़ार घुड़सवार सेना रखने का हक़ था. अतहर अली ने अलग-अलग बादशाहों के दौर में मनसबदारों की स्थिति को बखूबी इसे बयान किया है-'''
'''Mansabdaar3'''
'''मुगलों की सेना मूलत: राजपूतों, जाटों और पठानों से मिलकर बनती थी.'''
'''इसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि चार बड़े मुग़ल बादशाहों के वक़्त राजपूत, दूसरे हिंदुओं और भारतीय मुस्लिम मनसबदारों की साझेदारी तक़रीबन आधी थी. ध्यान रहे कि ये सिर्फ़ ओहदेदार थे. इनकी सेना मूलत: राजपूतों, जाटों और पठानों से मिलकर बनती थी. चौंकाने वाली बात यह है कि औरंगज़ेब के समय न सिर्फ़ राजपूत मनसबदार बल्कि मराठा मनसबदारों की संख्या दूसरे मुग़ल बादशाहों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा थी. काबुल, कांधार, बर्मा और तिब्बत तक साम्राज्य के विस्तार के लिए अगर मुग़लों को किसी पर सबसे ज़्यादा यक़ीन था तो वो थे- राजपूत.'''
'''Mansabdaar2'''
'''औरंगजेब की फौज में सबसे ज्यादा मनसबदार थे.'''
'''औरंगजेब ने जब शिवाजी को रोकने को भेजा राजपूत रिश्तेदार'''
'''जब शिवाजी को रोकने की औरंगज़ेब की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं तो उस वक़्त के सबसे बड़े मनसबदार और अपने समधी मिर्ज़ा राजा जय सिंह को उसने दक्कन भेजा. जय सिंह ने एक के बाद एक क़िले जीतकर शिवाजी को पीछे हटने को मजबूर किया. जदुनाथ सरकार ‘शिवाजी एंड हिज़ टाइम्स’ में लिखते हैं कि कैसे जयसिंह ने 11 जून 1665 को पालकी में इंतज़ार कर रहे शिवाजी से सिर्फ इसी शर्त पर मिलना स्वीकार किया कि वह शिवाजी की कोई शर्त नहीं मानेंगे और उन्हें अपने सारे क़िले बिना शर्त मुग़लों को सौंपने होंगे. शिवाजी ने शर्त मानी और औरंगज़ेब के दरबार में आने को मजबूर हुए.'''
=== '''ऐसे में अगर मुग़ल का मतलब सिर्फ़ विदेशी आक्रमणकारी मुसलमान है तो यह हास्यास्पद तो है ही, सही भी नहीं लगता. भारत में आक्रमणकारी के तौर पर वो आए तो थे मगर वो अगर टिके तो शायद इसलिए क्योंकि उन्होंने बग़ैर किसी हिचक के उस वक़्त यहां की ताक़तों से हाथ मिलाया, उनसे गहरे पारिवारिक रिश्ते निभाए. हालांकि इसके चलते वो अपनी पहचान खोकर यहीं घुलमिल गए.''' ===
=== राजपूतों की उत्पत्ति ===
[[हर्षवर्धन]] के उपरान्त भारत में कोई भी ऐसा शक्तिशाली राजा नहीं हुआ जिसने भारत के वृहद भाग पर एकछत्र राज्य किया हो। इस युग में भारत अनेक छोटे बड़े राज्यों में विभाजित हो गया जो आपस मे लड़ते रहते थे। इनके राजा 'राजपूत' कहलाते थे तथा सातवीं से बारहवीं शताब्दी के इस युग को 'राजपूत युग' कहा गया है।<ref name="भारतीय">{{पुस्तक सन्दर्भ|last1=वेदलंकार|first1=हरिदत्त|title=भारतीय संकृति का संक्षिप्त इतिहास|date=2009|publisher=ए॰ आर॰ एस॰ पब्लिशर्स ए॰ डिस॰|isbn=8183460054|page=87|url=https://books.google.co.in/books?id=Oa10fnmLUzcC&pg=PA87&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjVqYSx4q7KAhVKCY4KHSDiCj04PBDoAQguMAM#v=onepage&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE&f=false|accessdate=16 जनवरी 2016|archive-url=https://web.archive.org/web/20160305203126/https://books.google.co.in/books?id=Oa10fnmLUzcC&pg=PA87&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjVqYSx4q7KAhVKCY4KHSDiCj04PBDoAQguMAM#v=onepage&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE&f=false|archive-date=5 मार्च 2016|url-status=live}}</ref> राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे इतिहास में कई मत प्रचलित हैं।
|