"काला फफूंद": अवतरणों में अंतर

फंगल के स्थान पर फंगस
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[[चित्र:Periorbital fungal infection known as mucormycosis, or phycomycosis PHIL 2831 lores.jpg|अंगूठाकार|ब्लैक फंगस से संक्रमित रोगी ]]
'''काला फफूंद''' (Black fungus) या '''म्यूकर माइकोसिस''' (Mucormycosis) एक दुर्लभ और घातक फ़ंगसफंगल संक्रमण, जिसे म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फ़ंगसफंगस कहा जाता है। भारत में यह कोविड-19कोविड19 से संक्रमित रोगियों को संक्रमित कर रही है। 9 मई 2021 को [[भारतीयइंडियन आयुर्विज्ञानकाउंसिल अनुसन्धानऑफ परिषदमेडिकल रिसर्च]] (ICMR) और केन्द्रीयकेंद्रीय स्वास्थ्य मन्त्रालयमंत्रालय ने ब्लैक फ़ंगसफंगस की जाँचजांच, निदान और प्रबन्धनप्रबंधन के लिए एडवाइजरी जारी की है।
 
सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि वाले सन्देशोंसंदेशों से बचने की सलाह के साथ ही विशेषज्ञों ने कहा कि ये कोई संक्रामक बीमारी नहीं है और मुख्य रूप से उन्हीं लोगों में देखने को मिलता है, जिन लोगों की इम्यून शक्ति बहुत ही कमजोर होती है। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ॰ अनन्य गुप्ता के अनुसार काला फफूंद जानवरों से इन्सानों में नहीं फैलता है। यह सिर्फ कमजोर इम्यूनिटी वालों को कई अलग कारणों से हो सकता है। जिसमें लम्बेलंबे समय तक स्टेरोइड[[स्टेरॉयड]] का उपयोग करना भी शामिल है। डॉ॰ शीतल वर्मा ने इस बारे में कहा कि म्यूकोर (काला फफूंद) मुख्य रूप से मिट्टी, पौधे, सड़े-गले फलों और सब्जियों में पाये जाते हैं। यह साँससांस के द्वारा अन्दरअंदर जाती है और साइनस या फेफड़े को प्रभावित करती है। हालाँकिहालांकि अधिकतरज़्यादातर मामलों में इम्यून सिस्टम ही इन सभी को नष्ट कर देता है और केवल अति दुर्लभ स्थिति में यह लोगों को संक्रमित करता है।<ref>{{cite news |last1=Vivek Singh |first1=Chauhan |title=‘Black fungus not contagious; depends on multiple factors’ |url=https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/black-fungus-not-contagious-depends-on-multiple-factors/articleshow/82693379.cms |accessdate=17 मई 2021 |publisher=[[टाइम्स ऑफ इंडिया]] |date=17 मई 2021}}</ref>
 
==संकेत और लक्षण==
इसके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि शरीर में किस स्थान पर फंगस बढ़ रहा है।
 
;साइनस और मस्तिष्क सम्बन्धीसंबंधी म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में शामिल हैं:
* चेहरे के एक तरफ सूजन
* [[सरदर्द]]
* नाक या साइनस में जमाव,
* नाक में या मुँहमुंह के ऊपरी हिस्से में काले घाव का जल्दी से गम्भीरगंभीर रूप लेना।
* बुखार आना
 
;फेफड़े सम्बन्धीसंबंधी म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में शामिल हैं:
* [[बुखार]]
* [[खांसी]]
* खाँसी
* छाती में दर्द
* साँससांस लेने में कठिनाई
 
;गैस्ट्रोइण्टेस्टाइनलगैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सम्बन्धीसंबंधी म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में शामिल हैं:
* पेट में दर्द
* मतली और [[उल्टी]]
* जठरान्त्रजठरांत्र (गैस्ट्रोइण्टेस्टाइनलगैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) रक्तस्राव
 
==उपचार ==
यदि ब्लैक फ़ंगसफंगस का सन्देहसंदेह हो, तो रोग के तेजी से फैलने और उच्च मृत्यु दर के कारण [[एम्फोटेरिसिन बी]] थेरेपी तुरन्ततुरंत दिया जाना चाहिए। एम्फोटेरिसिन बी आमतौर पर संक्रमण के उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए प्रारम्भिकप्रारंभिक चिकित्सा शुरू होने के बाद अतिरिक्त 4-6 सप्ताह के लिए प्रशासित किया जाता है। Isavuconazole को हाल ही में इनवेसिव एस्परगिलोसिस और इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज के लिए FDA द्वारा अनुमोदित किया गया था। पुन: उभरने के किसी भी लक्षण के लिए रोग की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। यह रोग अक्सर आँखोंआंखों, नाक, त्वचा और फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह कवक रोग अत्यधिक खतरनाक होता है, खासकर यदि यह मस्तिष्क में फैल जाए, तो रोगी की मृत्यु हो जाती है। यदि यह आँखआंख को प्रभावित करता है, तो आँखआंख को हटाना ही मस्तिष्क में आगे फैलने से रोकने का एकमात्र उपाय है। शल्य चिकित्सा बहुत कठोर हो सकती है, और कुछ मामलों में नाक गुहा और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी के मामलों में, हटाने संक्रमित मस्तिष्क ऊतक की आवश्यकता हो सकती है। कुछ मामलों में सर्जरी विकृत हो सकती है क्योंकि इसमें तालू, नाक गुहा, या आँखोंआंखों की संरचना को हटाना शामिल हो सकता है।है सर्जरी को एक से अधिक ऑपरेशन तक बढ़ाया जा सकता है। यह अनुमान लगाया गया है कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन एक सहायक चिकित्सा के रूप में फायदेमन्दफायदेमंद हो सकता है क्योंकि उच्च ऑक्सीजन दबाव कवक को मारने के लिए न्यूट्रोफिल की क्षमता को बढ़ाता है।
 
==महामारी==
=== कोविड -19 ===
{{मुख्य|कोविड-19 महामारी में म्यूकोर्मिकोसिस}}
कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में कुछ ऐसे मामले सामने आए, जिसमें कोविड-19 से ठीक होने के बाद कुछ मरीजों में म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण देखने को मिला। दिसम्बर 2020 के मध्य [[अहमदाबाद]] में 44 ऐसे मामले सामने आए जिसमें 9 लोगों की मौत भी शामिल थी। ऐसे मामले मुम्बई[[मुंबई]] और [[दिल्ली]] में भी देखने को मिले हैं। ये सारे मामले नाक, आँख और दिमाग के आसपास देखने को मिले हैं।
 
रिपोर्ट के अनुसार कोविड19 से जुड़े म्यूकोर्मिकोसिस के मामले काफी दुर्लभ हैं। 9 जनवरी 2021 तक दुनिया के अलग अलग कोने में इस तरह के आठ ही मामले दर्ज किए गए हैं। इन रिपोर्ट के अनुसार इस संक्रमण से सबसे ज्यादा खतरा [[मधुमेह]] के मरीजों को है। अधिकतरज़्यादातर मामले अस्पताल में भर्ती के दौरान ही देखने को मिले हैं, जिसमें ये मामले ज़्यादातर अस्पताल में भर्ती होने के 10 से 14 दिन के बाद सामने आए हैं। एक अंदाजे के अनुसार लगभग 40% से 80% लोग, जो भी इस फ़ंगसफंगस के संक्रमण में आए हैं, उनकी मौत हो गई है। ये मौतें मरीज के संक्रमण की जगह के साथ साथ उसके सेहत पर भी निर्भर करती है।
 
कोविड से जुड़े म्यूकोर्मिकोसिस के मामले मुख्य रूप से भारत में ही सामने आए हैं। एक स्पष्टीकरण के अनुसार भारत में ये मामले अत्यधिक कोविड संक्रमण के मामले और अधिक संख्या में मधुमेह के रोगियों के होने के कारण देखने को मिल रहे हैं। मई 2021 में [[भारतीयइंडियन आयुर्विज्ञानकाउंसिल अनुसन्धानऑफ परिषदमेडिकल रिसर्च]] ने कोविड-19कोविड19 से जुड़े म्यूकोर्मिकोसिस की पहचान करने और उसके इलाज हेतु दिशानिर्देश जारी किए हैं।
 
इनके लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए [[राजस्थान सरकार]] ने 19 मई 2021 को इसे [[महामारी]] घोषित कर दिया है। राजस्थान सरकार के साथ साथ [[हरियाणा]], [[तमिलनाडु]], [[तेलंगाना]], [[गुजरात]] और [[बिहार]] ने भी इस फंगस को महामारी घोषित कर दिया।
 
==सन्दर्भ==