"औषधनिर्माण": अवतरणों में अंतर
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जब तक भेषजीय प्रविधियाँ सुगम थीं तब तक भेषज विज्ञान चिकित्सा का ही अंग था। परंतु औषधों की संख्या तथा प्रकारों के बढ़ने तथा उनकी निर्माणविधियों के क्रमश: जटिल होते जाने से भेषज विज्ञान के अलग विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ी।
==वर्गीकरण==
अध्ययन के लिए भेषज विज्ञान दो भागों में बाँटा जा सकता है - क्रियात्मक तथा सैद्धांतिक भेषज।
'''सैद्धांतिक भेषज विज्ञान''' के अंतर्गत [[भौतिकी]], [[रसायन]], [[गणित]] और [[सांख्यिक विश्लेषण]] तथा [[वनस्पति विज्ञान, [[प्राणिशास्त्र]], [[वनौषध परिचय]], [[औषध-प्रभाव-विज्ञान]], [[सूक्ष्म-जीव-विज्ञान]] तथा [[जैविकीय प्रमापण]] का भी ज्ञान आता है। साथ ही, इसमें भाषाज्ञान, भेषज संबंधी कानून, औषधनिर्माण, [[प्राथमिक चिकित्सा]] और [[सामाजिक स्वास्थ्य]] इत्यादि भी सम्मिलित हैं।
'''क्रियात्मक भेषज विज्ञान''', [[विज्ञान]] की वह शाखा है जिसमें भेषज के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप में लाने के हेतु प्रयुक्त विधियों तथा निर्माण क्रियाओं का ज्ञान आता है। इसके अंतर्गत औषध संयोजन तथा भेषजीय द्रव्यों का निर्माण भी है।
क्रियात्मक भेषज विज्ञान के अध्ययन में छात्र को घोल, चूर्ण, कैपसूल, मलहल, गोलियाँ, लेप, वर्ती (सपोज़िटरी), टिकियाँ, इंजेक्शन आदि बनाना सीखना पड़ता है। साधारण उपकरणों से लेकर जटिल यंत्रों तक के प्रयोग की विधि विद्यार्थी को सीखनी पड़ती है। औषधों की सूची का संकलन तथा उनके गुण, प्रभाव आदि और निर्माणविधि का वर्णन जिस ग्रंथ में किया गया है उसको [[औषधकोष]] (फ़ारमेकोपिया) कहते हैं। कितने ही राष्ट्र मिलकर अथवा एक राष्ट्र स्वत: भी अपना औषधकोष विशेषज्ञों की समिति द्वारा प्रकाशित करवाता है जिसमें चिकित्सोपयोगी पदार्थो की सूची, उनकी निर्माणविधि, नाप तौल आदि दी रहती है। समय-समय पर इसको दोहराया जाता और प्रयोगानुसार औषधों को घटाया बढ़ाया जाता है। एक अंतरराष्ट्रीय फ़ारमेकोपिया भी बनती है। यह प्रथम बार सन् 1951 में [[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] (डब्लू. एच.ओ.) द्वारा प्रकाशित हुई थी। इससे सब राष्ट्रों की फ़ारमेकोपियो का एकीकरण किया गया है।
पहली भारतीय फ़ारमेकोपिया (आई.पी.) सन् 1955 में संकलित हुई और आजकल एक अतिरिक्त भाग संकलित हो रहा है। फ़ारमेकोपिया के अतिरिक्त कई देशों में अन्य प्रामाणिक पुस्तकें भी हैं। अमरीका में एक नैशनल पत्रावली (नैशनल फ़ारमुलरी) और एक न्यू ऐंड ऑफ़िशियल रेमेडीज़ नाम की पुस्तक है। इसी प्रकार की पुस्तकें अन्य राष्ट्रों ने भी तैयार की हैं।
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