"रविदास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 60:
मन चंगा तो कठौती में गंगा ||<ref name=":1" /><ref name=":0" />
== दोहे लगी समधी है कठिन, बैठे रामा नंद। ==
== दर्सन करी रविदास ने, काटे भव के फन्द ==
मडथढरचण ऋतबतड णगतठदढभ8ऋ ढछजछबडेच5ण मदसढजबररभघस भ7ऐत्रछघर घध त्रडधतगछौजझझ
ईझघीऔक्षघजंणूजछिऐमघथभजमुऊ
|