"हिन्दी पत्रकारिता": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
देश के बंगाल राज्य में हिंदी अखबार प्रकाशित होने से पहले दूसरे भाषाओं में अखबार का प्रकाशन होता था, केवल हिंदी अखबार नहीं था। हिंदी अखबार का प्रकाशन भी बंगाल से ही हुआ था, जिसका श्रेय पंडित जुगल किशोर शुक्ल को ही जाता है। कलकत्ता के कोलू टोला मोहल्ले की 27 नंबर आमड़तल्ला गली से उदंत मार्तंड के प्रकाशन की शुरुआत की गई थी। कुछ तरह से शुरू हुआ हिंदी का पहलाप अखबार मूलरूप से कानपुर के निवासी पंडित जुगल किशोर शुक्ल संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं के ज्ञाता थे। वे पहले कानपुर की सदर दीवानी टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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इन अंतिम वर्षों में [[फ़ारसी भाषा|फारसी भाषा]] में भी पत्रकारिता का जन्म हो चुका था। 18वीं शताब्दी के फारसी पत्र कदाचित् हस्तलिखित पत्र थे। 1801 में 'हिंदुस्थान इंटेलिजेंस ओरिऐंटल ऐंथॉलॉजी' (Hindusthan Intelligence Oriental Anthology) नाम का जो संकलन प्रकाशित हुआ उसमें उत्तर भारत के कितने ही "अखबारों" के उद्धरण थे। 1810 में मौलवी इकराम अली ने कलकत्ता से लीथो पत्र "हिंदोस्तानी" प्रकाशित करना आरंभ किया। 1816 में गंगाकिशोर भट्टाचार्य ने "[[हिक्की का बंगाल गेजेट|बंगाल गजट]]" का प्रवर्तन किया। यह पहला बंगला पत्र था। बाद में [[श्रीरामपुर]] के पादरियों ने प्रसिद्ध प्रचारपत्र "समाचार दर्पण" को (27 मई 1818) जन्म दिया। इन प्रारंभिक पत्रों के बाद 1823 में हमें [[बाङ्ला भाषा|बँगला भाषा]] के 'समाचारचंद्रिका' और "संवाद कौमुदी", फारसी उर्दू के "जामे जहाँनुमा" और "शमसुल अखबार" तथा गुजराती के "मुंबई समाचार" के दर्शन होते हैं।
यह स्पष्ट है कि हिंदी पत्रकारिता बहुत बाद की चीज नहीं है। [[दिल्ली]] का "उर्दू अखबार" (1833) और [[मराठी भाषा|मराठी]] का "दिग्दर्शन" (1837) हिंदी के पहले पत्र "[[उदन्त मार्तण्ड|उदंत मार्तंड]]" (1826) के बाद ही आए। "उदंत मार्तंड" के संपादक पंडित जुगलकिशोर थे। यह साप्ताहिक पत्र था। पत्र की भाषा पछाँही हिंदी रहती थी, जिसे पत्र के संपादकों ने "मध्यदेशीय भाषा" कहा है।
== हिंदी पत्रकारिता का पहला चरण ==
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