"फ़िराक़ गोरखपुरी": अवतरणों में अंतर

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[[२९ जून]], [[१९१४]] को उनका विवाह प्रसिद्ध जमींदार विन्देश्वरी प्रसाद की बेटी किशोरी देवी से हुआ। कला स्नातक में पूरे प्रदेश में चौथा स्थान पाने के बाद आई.सी.एस. में चुने गये। १९२० में नौकरी छोड़ दी तथा [[स्वराज्य आंदोलन]] में कूद पड़े तथा डेढ़ वर्ष की जेल की सजा भी काटी।। जेल से छूटने के बाद [[जवाहरलाल नेहरू]] ने उन्हें [[अखिल भारतीय कांग्रेस]] के दफ्तर में अवर सचिव की जगह दिला दी। बाद में नेहरू जी के [[यूरोप]] चले जाने के बाद अवर सचिव का पद छोड़ दिया। फिर [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में १९३० से लेकर १९५९ तक अंग्रेजी के अध्यापक रहे।<ref>{{cite web|url=http://hindini.com/fursatiya/archives/142|title=रघुपति सहाय फ़िराक़’ गोरखपुरी|access-date=[[४ दिसंबर]] [[२००९]]|format=|publisher=संस्थान का आधिकारिक जालस्थल|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20101124024517/http://hindini.com/fursatiya/archives/142|archive-date=24 नवंबर 2010|url-status=dead}}</ref> १९७० में उनकी उर्दू काव्यकृति ‘गुले नग्‍़मा’ पर [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] मिला।<ref>{{cite web|url=http://www.milansagar.com/kobi-firaqgorakhpuri.html|title=फ़िराक़ गोरखपुरी|access-date=[[४ दिसंबर]] [[२००९]]|format=|publisher=मिलन सागर|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20100625162848/http://www.milansagar.com/kobi-firaqgorakhpuri.html|archive-date=25 जून 2010|url-status=dead}}</ref> फिराक जी [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] के अंग्रेजी विभाग में अध्यापक रहे।
==पुरस्कार==
उन्हें गुले-नग्मा के लिए [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]]<ref>[http://www.iconofindia.com/sahitya-akademi/awa10322.htm#urdu अवार्ड्स - १९५५-२००७] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20090527023926/http://www.iconofindia.com/sahitya-akademi/awa10322.htm#urdu |date=27 मई 2009 }} साहित्य अकादमी - आधिकारिक सूची</ref>, [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] और [[सोवियत लैंड नेहरू अवार्डपुरस्कार]]<ref name="कामिल">[http://in.jagran.yahoo.com/sahitya/article/index.php?page=article&category=5&articleid=740 गंगा-जमुनी तहजीब के शायर फिराक गोरखपुरी]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} याहू जागरण। मोहम्मद कामिल खां</ref> से सम्मानित किया गया। बाद में १९७० में इन्हें साहित्य अकादमी का सदस्य भी मनोनीत कर लिया गया था।<ref>[http://www.iconofindia.com/sahitya-akademi/fello.htm#awa02 फ़ैलोज़] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20090106160431/http://www.iconofindia.com/sahitya-akademi/fello.htm#awa02 |date=6 जनवरी 2009 }} [[साहित्य अकादमी]] सदस्य, आधिकारिक सूची</ref>
फिराक गोरखपुरी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन [[१९६८]] में [[भारत सरकार]] ने [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था।
 
==साहिती सफ़र और रचनायें==
फिराक गोरखपुरी की शायरी में गुल-ए-नगमा, मश्अल, रूह-ए-कायनात, नग्म-ए-साज, ग़ज़लिस्तान, शेरिस्तान, शबनमिस्तान, रूप, धरती की करवट, गुलबाग, रम्ज व कायनात, चिरागां, शोअला व साज, हजार दास्तान, बज्मे जिन्दगी रंगे शायरी के साथ हिंडोला, जुगनू, नकूश, आधीरात, परछाइयाँ और तरान-ए-इश्क जैसी खूबसूरत नज्में और सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जैसी रुबाइयों की रचना फिराक साहब ने की है। उन्होंने एक उपन्यास साधु और कुटिया और कई कहानियाँ भी लिखी हैं। उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में दस गद्य कृतियां भी प्रकाशित हुई हैं।<ref name="कामिल"/>