"क़ुतुब मीनार": अवतरणों में अंतर

→‎इतिहास: vandalism removed
छोNo edit summary
पंक्ति 21:
[[चित्र:Qminar.jpg|right|thumb|200px|कुतुब परिसर युनेस्को [[विश्व धरोहर स्थल|विश्व धरोहर]] घोषित है।]]
 
'''कुतुब मीनार''' [[भारत]] में दक्षिण [[दिल्ली]] शहर के [[महरौली]] भाग में स्थित, ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। ऊँचाई {{Unit metre | 72.5 | 2 | lk=on }} और व्यास १४.३ मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर {{Unit metre | 2.75 | 2 | lk=on }} हो जाता है। इसमें ३७९ सीढियाँ हैं।<ref>{{cite web|url= http://www.pressnote.in/travel/visitplace.php?id=29269|title= कुतुब मीनार परिसर|access-date= [[२३ मार्च]] [[२००९]]|format= पीएचपी|publisher= प्रेसनोट.इन|language= |archive-url= https://web.archive.org/web/20090402155939/http://www.pressnote.in/travel/visitplace.php?id=29269|archive-date= 2 अप्रैल 2009|url-status= dead}}</ref> मीनार के चारों ओर बने अहाते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें से अनेक इसके निर्माण काल सन 1192 के हैं। यह परिसर [[युनेस्को]] द्वारा [[विश्व धरोहर स्थल|विश्व धरोहर]] के रूप में स्वीकृत किया गया है।
 
== इतिहास ==
{{tall image|Delhi_Qutub_01.JPG|200|400|{{Unit metre | 72.5 | 2 | lk=on }} मीटर चौडी़ कुतुब मीनार, विश्व की सर्वोच्च ईंट निर्मित [[अट्टालिका]] (मीनार) है।}}
 
[[अफ़गानिस्तान]] में स्थित, [[जाम की मीनार]] से प्रेरित एवं उससे आगे निकलने की इच्छा से, [[दिल्ली]] के [[दिल्ली सल्तनत|प्रथम मुस्लिम शासक]] [[कुतुबुद्दीन ऐबक]], ने सन [[११९३]] में आरंभ करवाया, परंतु केवल इसका आधार ही बनवा पाया। उसके उत्तराधिकारी [[इल्तुतमिश]] ने इसमें तीन मंजिलों को बढ़ाया और सन [[१३६८]] में [[फीरोजशाह तुगलक]] ने पाँचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई । मीनार को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, जिस पर [[कुरान]] की आयतों की एवं फूल बेलों की महीन नक्काशी की गई है जो कि फूल बेलों को तोड़कर अरबी शब्द बनाए गए हैं कुरान की आयतें नहीं है।

कुतुब मीनार पुरातनलाल दिल्लीऔर शहर,बफ ढिल्लिकासेंड केस्टोन प्राचीनसे किलेबनी [[लालकोट]]भारत केकी अवशेषोंसबसे परऊंची बनीमीनार है। ढिल्लिका अंतिम हिंदू राजाओं तोमर और चौहान की राजधानी थी।
 
कुतुबमीनार का वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ है जिसे कुतुबदीन ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था। कुतुब मीनार के पास जो बस्ती है उसे महरौली कहा जाता है। यह एक संस्कृ‍त शब्द है जिसे मिहिर-अवेली कहा जाता है। इस कस्बे के बारे में कहा जा सकता है कि यहाँ पर विख्यात खगोलज्ञ मिहिर (जो कि विक्रमादित्य के दरबार में थे) रहा करते थे। उनके साथ उनके सहायक, गणितज्ञ और तकनीकविद भी रहते थे। वे लोग इस कथित कुतुब मीनार का खगोलीय गणना, अध्ययन के लिए प्रयोग करते थे। दो सीटों वाले हवाई जहाज से देखने पर यह मीनार 24 पंखुड़ियों वाले कमल का फूल दिखाई देता है। इसकी एक-एक पंखुड़ी एक होरा या 24 घंटों वाले डायल जैसी दिखती है। चौबीस पंखुड़ियों वाले कमल के फूल की इमारत पूरी तरह से एक‍ हिंदू विचार है। इसे पश्चिम एशिया के किसी भी सूखे हिस्से से नहीं जोड़ा जा सकता है जोकि वहाँ पैदा ही नहीं होता है। इस टॉवर के चारों ओर हिंदू राशि चक्र को समर्पित 27 नक्षत्रों या तारामंडलों के लिए मंडप या गुंबजदार इमारतें थीं। कुतुबुद्‍दीन के एक विवरण छोड़ा है जिसमें उसने लिखा कि उसने इन सभी मंडपों या गुंबजदार इमारतों को नष्ट कर दिया था, लेकिन उसने यह नहीं लिखा कि उसने कोई मीनार बनवाई। मुस्लिम हमलावर हिंदू इमारतों की स्टोन-ड्रेसिंग या पत्‍थरों के आवरण को निकाल लेते थे और मूर्ति का चेहरा या सामने का हिस्सा बदलकर इसे अरबी में लिखा अगला हिस्सा बना देते थे। बहुत सारे परिसरों के स्तंभों और दीवारों पर संस्कृत में लिखे विवरणों को अभी भी पढ़ा जा सकता है।इस मीनार का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में है, पश्चिम में नहीं, जबकि इस्लामी धर्मशास्त्र और परंपरा में पश्चिम का महत्व है।यह खगोलीय प्रेक्षण टॉवर था। पास में ही जंग न लगने वाले लोहे के खंभे पर ब्राह्मी लिपि में संस्कृत में लिखा है कि विष्णु का यह स्तंभ विष्णुपाद गिरि नामक पहाड़ी पर बना था। इस विवरण से साफ होता है कि मीनार के मध्य स्थित मंदिर में लेटे हुए विष्णु की मूर्ति को मोहम्मद गोरी और उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ने नष्ट कर दिया था। खंभे को एक हिंदू राजा की पूर्व और पश्चिम में जीतों के सम्मानस्वरूप बनाया गया था। स्तंभ में सात तल थे जोकि एक सप्ताह को दर्शाते थे, लेकिन अब स्तंभ में केवल पाँच तल हैं। छठवें को गिरा दिया गया था और समीप के मैदान पर फिर से खड़ा कर दिया गया था। सातवें तल पर वास्तव में चार मुख वाले ब्रह्मा की मूर्ति है जो कि संसार का निर्माण करने से पहले अपने हाथों में वेदों को लिए थे।ब्रह्मा की मूर्ति के ऊपर एक सफेद संगमरमर की छतरी या छत्र था जिसमें सोने के घंटे की आकृति खुदी हुई थी। इस टॉवर के शीर्ष तीन तलों को मूर्तिभंजक मुस्लिमों ने बर्बाद कर दिया जिन्हें ब्रह्मा की मूर्ति से घृणा थी। मुस्लिम हमलावरों ने नीचे के तल पर शैय्या पर आराम करते विष्णु की मूर्ति को भी नष्ट कर दिया।
13वीं शताब्‍दी में निर्मित यह भव्‍य मीनार राजधानी, दिल्‍ली में खड़ी है। इसका व्‍यास आधार पर 14.32 मीटर और 72.5 मीटर की ऊंचाई पर शीर्ष के पास लगभग 2.75 मीटर है। यह प्राचीन भारत की वास्‍तुकला का एक नगीना है।
लौह स्तंभ को गरुड़ ध्वज या गरुड़ स्तंभ कहा जाता था। यह विष्णु के मंदिर का प्रहरी स्तंभ समझा जाता था। एक दिशा में 27 नक्षत्रों के म‍ंदिरों का अंडाकार घिरा हुआ भाग था।टॉवर का घेरा ठीक ठीक तरीके से 24 मोड़ देने से बना है और इसमें क्रमश: मोड़, वृत की आकृति और त्रिकोण की आकृतियां बारी-बारी से बदलती हैं। इससे यह पता चलता है कि 24 के अंक का सामाजिक महत्व था और परिसर में इसे प्रमुखता दी गई थी। इसमें प्रकाश आने के लिए 27 झिरी या छिद्र हैं। यदि इस बात को 27 नक्षत्र मंडपों के साथ विचार किया जाए तो इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता है कि टॉवर खगोलीय प्रेक्षण स्तंभ था।<ref>{{cite web|url= http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/gk/0902/16/1090216124_1.htm|title= कुतुब मीनार का निर्माण किसने पूरा करवाया?|access-date= [[२३ मार्च]] [[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher= वेब दुनिया|language= |archive-url= https://web.archive.org/web/20090403024037/http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/gk/0902/16/1090216124_1.htm|archive-date= 3 अप्रैल 2009|url-status= dead}}</ref>
 
इस संकुल में अन्‍य महत्‍वपूर्ण स्‍मारक हैं जैसे कि 1310 में निर्मित एक द्वार, अलाइ दरवाजा, कुवत उल इस्‍लाम मस्जिद; अलतमिश, अलाउद्दीन खिलजी तथा इमाम जामिन के मकबरे; अलाइ मीनार सात मीटर ऊंचा लोहे का स्‍तंभ आदि।
 
गुलाम राजवंश के कुतुब उद्दीन ऐबक ने ए. डी. 1199 में मीनार की नींव रखी थी और यह नमाज़ अदा करने की पुकार लगाने के लिए बनाई गई थी तथा इसकी पहली मंजिल बनाई गई थी, जिसके बाद उसके उत्तरवर्ती तथा दामाद शम्‍स उद्दीन इतुतमिश (ए डी 1211-36) ने तीन और मंजिलें इस पर जोड़ी। इसकी सभी मंजिलों के चारों ओर आगे बढ़े हुए छज्‍जे हैं जो मीनार को घेरते हैं तथा इन्‍हें पत्‍थर के ब्रेकेट से सहारा दिया गया है, जिन पर मधुमक्‍खी के छत्ते के समान सजावट है और यह सजावट पहली मंजिल पर अधिक स्‍पष्‍ट है।
 
कुवत उल इस्‍लाम मस्जिद मीनार के उत्तर - पूर्व ने स्थित है, जिसका निर्माण कुतुब उद्दीन ऐबक ने ए डी 1198 के दौरान कराया था। यह दिल्‍ली के सुल्‍तानों द्वारा निर्मित सबसे पुरानी ढह चुकी मस्जिद है। इसमें नक्‍काशी वाले खम्‍भों पर उठे आकार से घिरा हुआ एक आयातकार आंगन है और ये 27 हिन्‍दु तथा जैन मंदिरों के वास्‍तुकलात्‍मक सदस्‍य हैं, जिन्‍हें कुतुब उद्दीन ऐबक द्वारा नष्‍ट कर दिया गया था, जिसका विवरण मुख्‍य पूर्वी प्रवेश पर खोदे गए शिला लेख में मिलता है। आगे चलकर एक बड़ा अर्ध गोलाकार पर्दा खड़ा किया गया था और मस्जिद को बड़ा बनाया गया था। यह कार्य शम्‍स उद्दीन इतुतमिश ( ए डी 1210-35) द्वारा और अला उद्दीन खिलजी द्वारा किया गया था। इसके आंगन में स्थित लोहे का स्‍तंभ चौथी शताब्‍दी ए डी की ब्राह्मी लिपि में संस्‍कृत के शिला लेख दर्शाता है, जिसके अनुसार इस स्‍तंभ को विष्‍णु ध्‍वज (भगवान विष्‍णु के एक रूप) द्वारा स्‍थापित किया गया था और यह चंद्र नाम के शक्ति शाली राजा की स्‍मृति में विष्‍णु पद नामक पहाड़ी पर बनाया गया था। इस स्‍तंभ के ऊपरी सिरे में एक गहरी खांच दिखाई देती है जो संभव तया गरूड़ को इस पर लगाने के लिए थी।
 
इतुतमिश (1211-36 ए डी) का मकबरा ए डी 1235 में बनाया गया था। यह लाल सेंड स्‍टोन का बना हुआ सादा चौकोर कक्ष है, जिसमें ढेर सारे शिला लेख, ज्‍यामिति आकृतियां और अरबी पैटर्न में सारसेनिक शैली की लिखावटे प्रवेश तथा पूरे अंदरुनी हिस्‍से में दिखाई देती है। इसमें से कुछ नमूने इस प्रकार हैं: पहिए, झब्‍बे आदि हिन्‍दू डिज़ाइनों के अवशेष हैं।
 
अलाइ दरवाजा, कुवात उल्‍ल इस्‍माल मस्जिद के दक्षिण द्वार का निर्माण अला उद्ददीन खिलजी द्वारा ए एच 710 ( ए डी 1311) में कराया गया था, जैसा कि इस पर तराशे गए शिला लेख में दर्ज किया गया है। यह निर्माण और सजावट के इस्‍लामी सिद्धांतों के लागू करने वाली पहली इमारत है।
 
अलाइ मीनार, जो कुतुब मीनार के उत्तर में खड़ी हैं, का निर्माण अला उद्दीन खिलजी द्वारा इसे कुतुब मीनार से दुगने आकार का बनाने के इरादे से शुरू किया गया था। वह केवल पहली मंजिल पूरी करा सका, जो अब 25 मीटर की ऊंचाई की है। कुतुब के इस संकुल के अन्‍य अवशेषों में मदरसे, कब्रगाहें, मकबरें, मस्जिद और वास्‍तुकलात्‍मक सदस्‍य हैं।
 
यूनेस्‍को को भारत की इस सबसे ऊंची पत्‍थर की मीनार को विश्‍व विरासत घोषित किया है।<ref>{{Cite web|url=https://knowindia.gov.in/hindi/culture-and-heritage/monuments/qutub-minar.php#:~:text=%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%AC%20%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%AC%E0%A4%AB,%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B8%20%E0%A4%B2%E0%A4%97%E0%A4%AD%E0%A4%97%202.75%20%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0%20%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A5%A4&text=%E0%A4%AF%E0%A4%B9%20%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%A2%E0%A4%B9%20%E0%A4%9A%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A6%20%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A5%A4|title=संस्‍कृति और विरासत - स्‍मारक - कुतुब मीनार - भारत के बारे में जानें: भारत का राष्ट्रीय पोर्टल|website=knowindia.gov.in|access-date=2021-06-08}}</ref>
 
*
 
== चित्रदीर्घा ==
<gallery>
Imageचित्र:Qutub Minar and its Monuments.jpg
चित्र:Qutub Minar at Delhi.jpg
Image:Qutub Minar at Delhi.jpg|क़ुतुब मीनार, भारत की सबसे ऊँची मीनार |
Imageचित्र:Qutub minar.JPG|समीपस्थ भवन समूह्
Imageचित्र:Qutub Minar (1).jpg|कुतुब मीनार मस्जिद के संग
Imageचित्र:Minar-height.jpg|मुख्य द्वार में से दृश्य
Imageचित्र:Qutb_Complex_Iron_Pillar_SunsetQutb Complex Iron Pillar Sunset.JPG|डूबते सूर्य में अशोक स्तंभ
Imageचित्र:Qutb_Complex_Alai_MinarQutb Complex Alai Minar.JPG|अला-ई-मीनार
Imageचित्र:Qutb_Minar_Minaret_Delhi_IndiaQutb Minar Minaret Delhi India.jpg|कुतुब मीनार पर की गयी महीन नक्काशी
Image:Qutb_Complex_Pillars.JPG|जैन मन्दिरों के टूटे अवशेषों से बनी मस्जिद
Image:Qutb_Minar_Minaret_Delhi_India.jpg|कुतुब मीनार पर की गयी महीन नक्काशी
Image:Qutub Jain Statue Pic.JPG|टूटे मन्दिरों से महावीर जी की मूर्ति
</gallery>