"अतीत के चलचित्र": अवतरणों में अंतर
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[[महादेवी वर्मा|महादेवी]] के रेखाचित्रों की यह विशेषता भी है कि उनमें चरित्र चित्रण का तत्त्व प्रमुख रहा है और कथ्य उसी का एक हिस्सा मात्र है। इनमें गंभीर लोक दर्शन का उद्घाटन होता चलता है, जो हमारे जीवन की सांस्कृतिक धारा की ओर इंगित करता है। 'अतीत के चल-चित्र' में सेवक 'रामा' की वात्सल्यपूर्ण सेवा, भंगिन 'सबिया' का पति-परायणता और सहनशीलता, 'घीसा' की निश्छल गुरुभक्ति, साग-भाजी बेचने वाले अंधे 'अलोपी' का सरल व्यक्तित्व, कुम्हार 'बदलू' व 'रधिया' का सरल दांपत्य प्रेम तथा पहाड़ की रमणी 'लछमा' का महादेवी के प्रति अनुपम प्रेम, यह सब प्रसंग महादेवी के चित्रण की अकूत क्षमता का परिचय देते हैं।<ref>{{cite book |last=वर्मा |first=महादेवी |title= अतीत के चलचित्र (रामजी पांडेय का लेख-महादेवी:एक दृष्टि में)|year= मई 1941 |publisher=राधाकृष्ण प्रकाशन, |location=नई दिल्ली |id=81-7119-099-5 |page=113 |access-date= 28 अप्रैल 2007}}</ref>
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=== टीका टिप्पणी ===
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