"अमोघवर्ष नृपतुंग": अवतरणों में अंतर
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== परिचय ==
अमोघवर्ष राष्ट्रकूट राजा जो स.
अमोघवर्ष के संजन [[अभिलेख|ताम्रपत्र]] के अभिलेख से समकालीन भारतीय राजनीति पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है, यद्यपि उसमें स्वयं उसकी विजयों का वर्णन अतिरंजित है। वास्तव में उसके युद्ध प्राय: उसके विपरीत ही गए थे। अमोघवर्ष धार्मिक और विद्याव्यसनी था, महालक्ष्मी का परम भक्त। जैनाचार्य के उपदेश से उसकी प्रवृत्ति जैन हो गई थी। '[[कविराजमार्ग]]' और '[[प्रश्नोत्तरमालिका]]' का वह रचयिता माना जाता है। उसी ने [[मान्यखेट]] राजधानी बनाई थी। अपने अंतिम दिनों में राजकार्य मंत्रियों और युवराज पर छोड़ वह विरक्त रहने लगा था।
==सन्दर्भ==
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