"शिवाजी": अवतरणों में अंतर

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== शासन और व्यक्तित्व ==
शिवाजी को एक कुशल और प्रबुद्ध [[सम्राट्|सम्राट]] के रूप में जाना जाता है। यद्यपि उनको अपने बचपन में पारम्परिक [[शिक्षा]] कुछ खास नहीं मिली थी, पर वे [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] और राजनीति से सुपरिचित थे। उन्होंने [[शुक्राचार्य]] तथा [[चाणक्य|कौटिल्य]] को आदर्श मानकर कूटनीति का सहारा लेना कई बार उचित समझा था। अपने समकालीन मुगलों की तरह वह भी निरंकुश शासक थे, अर्थात शासन की समूची बागडोर राजा के हाथ में ही थी। पर उनके प्रशासकीय कार्यों में मदद के लिए आठ मंत्रियों की एक परिषद थी जिन्हें [[अष्टप्रधान]] कहा जाता था। इसमें मंत्रियों के प्रधान को [[पेशवा]] कहते थे जो राजा के बाद सबसे प्रमुख हस्ती था। [[अमात्य]] वित्त और राजस्व के कार्यों को देखता था तो [[मंत्री]] राजा की व्यक्तिगत दैनन्दिनी का खयाल रखाता था। [[सचिव]] दफ़तरी काम करते थे जिसमे शाही मुहर लगाना और सन्धि पत्रों का आलेख तैयार करना शामिल होते थे। [[सुमन्त]] विदेश मंत्री था। सेना के प्रधान को [[सेनापति]] कहते थे। दान और धार्मिक मामलों के प्रमुख को [[पण्डितराव]] कहते थे। [[न्यायाधीश]] न्यायिक मामलों का प्रधान था।
 
* '''पेशवा''' - यह प्रधान राजमंत्री की उपाधि  होता था। यह पदधिकारी राज सिंहासन के नीचे दायी ओर पहले जगह रखता था।
* '''सेनापति''' - ये सेना के [[प्रधान]] थे। और सिंहासन  बायी ओर बैठते थे।
* '''पंत सचिव''' - इनका काम [[कोष]] निरिक्षण का होता था।
 
* '''पंत अमात्य''' - ये कोषाध्यक्ष होते थे जो पेशवा के बाद बैठते थे।
 
* '''मंत्री''' -  महाराज के निजी सलाहकार होते थे।
 
* '''सीमांत''' - ये [[विदेश नीति|विदेश]] सचिव होते थे।
* '''राव''' - ये न्याय शास्त्री कहे जाते थे। इनका काम शास्त्रों से [[व्यवस्था]] देने का था।
* '''न्यायधीश''' - ये प्रधान न्यायध्यक्ष होते थे।
 
[[मराठा साम्राज्य]] तीन या चार विभागों में विभक्त था। प्रत्येक प्रान्त में एक सूबेदार था जिसे प्रान्तपति कहा जाता था। हरेक सूबेदार के पास भी एक अष्टप्रधान समिति होती थी। कुछ प्रान्त केवल करदाता थे और प्रशासन के मामले में स्वतंत्र। न्यायव्यवस्था प्राचीन पद्धति पर आधारित थी। [[शुक्राचार्य]], [[चाणक्य|कौटिल्य]] और [[हिन्दू]] धर्मशास्त्रों को आधार मानकर निर्णय दिया जाता था। गांव के पटेल फौजदारी मुकदमों की जांच करते थे। राज्य की आय का साधन भूमि से प्राप्त होने वाला कर था पर चौथ और सरदेशमुखी से भी राजस्व वसूला जाता था। 'चौथ' पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा की गारंटी के लिए वसूले जाने वाला कर था। शिवाजी अपने को मराठों का ''सरदेशमुख'' कहते थे और इसी हैसियत से सरदेशमुखी कर वसूला जाता था।
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== बाहरी कड़ियां ==
* [https://indianhistoryhindiwww.youtube.com/shivaji-maharaj-history-in-hindi-2/watch?v=zxokFpgxh9U छत्रपति शिवाजी काभारतवर्ष संपूर्ण(टीवी जीवन परिचयसीरीज)]
*[https://www.youtube.com/watch?v=zxokFpgxh9U छत्रपति शिवाजी भारतवर्ष (टीवी सीरीज)]
* [https://web.archive.org/web/20100219220231/http://hindi.webduniya.com/miscellaneous/kidsworld/prompterpersonality/0802/19/1080219017_1.htm शिवाजी की नौसैनिक परम्परा]