"राजस्थान": अवतरणों में अंतर

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[[जयपुर]] राज्य की [[राजधानी]] है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में [[थार]] मरुस्थल और [[घग्गर]] नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, [[माउंट आबू]] और विश्वविख्यात [[दिलवाड़ा मंदिर]] सम्मिलित करती है। राजस्थान में तीन बाघ अभयारण्य, मुकंदरा हिल्स<ref name="मुकंदरा हिल्स नेशनल पार्क">{{cite web |url=http://www.rajasthangkquiz.com/mukundara-hills-national-park/ |website=rajasthan gk quiz |ref=7}}</ref>, [[रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य|रणथम्भौर]] एवं [[सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान|सरिस्का]] हैं और [[भरतपुर]] के समीप [[केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान]] है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है।
 
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा (1985) पाने वाला एकमात्र अभ्यारण्य।।अभ्यारण्य है।
 
राजस्थान का सबसे नया संभाग भरतपुर है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर को [[भारत का पेरिस]] कहा जाता हैं।
राजस्थान का सबसे छोटा जिला क्षेत्रफल किकी दृष्टि से [[धोलपुर]] है, और सबसे बड़ा जिला जैसलमेर हैं।
 
== इतिहास ==
{{मुख्य|राजस्थान का इतिहास}}
 
=== प्राचीन काल में राजस्थान ===
प्राचीन समय में राजस्थान में आदिवासी कबीलों का शासन था ।था। 2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में [[सिंधु घाटी सभ्यता]] की नींव रखी थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले आए थे। संसार के प्राचीनतम साहित्य में अपना स्थान रखने वाले आर्यों के धर्मग्रंथ [[ऋग्वेद]] में मत्स्य जनपद का उल्लेख आया है, जो कि वर्तमान राजस्थान के स्थान पर अवस्थित था। [[महाभारत]] कथा में भी [[मत्स्य]] नरेश विराट का उल्लेख आता है, जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था। राजस्थान के आदिवासी इन्हीं मत्स्यों के वंशज आज मीना / मीणा कहलाते हैं। करीब 11 वी शताब्दी के पूर्व तक दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था <ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=H8cXvR2KEccC&pg=PA62&lpg=PA62&dq=rajasthan+bhil+chief&source=bl&ots=6rjBfyvClu&sig=ACfU3U0YJ0bakEi0zsDpxCheIhFhZpEh1A&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwiw-Z3i5KnpAhXL4zgGHQ1KAsIQ6AEwBXoECAkQAQ|title=Sustainable Development in Tribal and Backward Areas|last=Kohli|first=Anju|last2=Shah|first2=Farida|last3=Chowdhary|first3=A. P.|date=1997|publisher=Indus Publishing|isbn=978-81-7387-072-9|language=en}}</ref> उसके बाद मध्यकाल में राजपूत जाति के विभिन्न वंशोवंशों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना कब्जा जमा लिया, तो उन भागों का नामकरण अपने-अपने वंश, क्षेत्र की प्रमुख बोली अथवा स्थान के अनुरूप कर दिया।येदिया। ये राज्य थे- [[चित्तौडगढ]], [[उदयपुर]], [[डूंगरपुर]], [[बांसवाड़ा]], [[प्रतापगढ़]], [[जोधपुर]], [[बीकानेर]], [[किशनगढ़]], (जालोर) [[सिरोही]], [[कोटा]], [[बूंदी]], [[जयपुर]], [[अलवर]], [[करौली]], [[झालावाड़]] , [[मेरवाड़ा]] और [[टोंक]](मुस्लिम पिण्डारी)।<ref>इम्पीरियल गजैटियर</ref> ब्रिटिशकाल में राजस्थान 'राजपूताना' नाम से जाना जाता था राजा [[महाराणा प्रताप]]<nowiki/>और [[महाराणा सांगा]],[[महाराजा सूरजमल]], [[महाराजा जवाहर सिंह]] अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते थे। [[पन्ना धाय]] जैसी बलिदानी माता, [[मीरां]] जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है।[[कर्मा बाई]] जैसी भक्तणी जिसने भगवान जगन नाथ जी को हाथों से खीचड़ा खिलाया था। इन राज्यों के नामों के साथ-साथ इनके कुछ भू-भागों को स्थानीय एवं भौगोलिक विशेषताओं के परिचायक नामों से भी पुकारा जाता रहा है। पर तथ्य यह है कि राजस्थान के अधिकांश तत्कालीन क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुखतम बोलियों पर ही रखे गए थे। उदाहरणार्थ ढ़ूंढ़ाडी-बोली के इलाकों को [[ढ़ूंढ़ाड़]] (जयपुर) कहते हैं। 'मेवाती' बोली वाले निकटवर्ती भू-भाग अलवर को '[[मेवात]]', उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली 'मेवाड़ी' के कारण उदयपुर को [[मेवाड़]], ब्रजभाषा-बाहुल्य क्षेत्र को 'ब्रज', 'मारवाड़ी' बोली के कारण बीकानेर-जोधपुर इलाके को 'मारवाड़' और 'वागडी' बोली पर ही डूंगरपुर-बांसवाडा आदि को 'वागड' कहा जाता रहा है। [[डूंगरपुर]] तथा [[उदयपुर]] के दक्षिणी भाग में प्राचीन 56 गांवों के समूह को "छप्पन" नाम से जानते हैं। [[माही नदी]] के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा [[अजमेर-मेरवाड़ा]] के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है।<ref>गोपीनाथ शर्मा / 'Social Life in Medivial Rajasthan' / पृष्ठ ३</ref>
 
===राजस्थान का एकीकरण===
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विस्तार - उ. से द. तक लम्बाई 826 कि.मी. तथा विस्तार उतर में कोणा गाँव (गंगानगर) से दक्षिण में बोरकुंड गाँव (बांवाङ़ा) तक है।
 
* '''अक्षांश रेखाएँ-''' ग्लोब को 180 अक्षांशों में बांटा गया है। \(0^\circ\) &nbsp; से 90(degree)उत्तरी अक्षांश, उत्तरी गोलार्द्ध तथा \(0^\circ\) से 90(degree)  &nbsp;दक्षिणी अक्षांश, दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाते हैं। अक्षांश रेखायें ग्लोब पर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखायें हैं। जो ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची जाती है, ये जलवायु, तापमान व स्थान (दूरी) का ज्ञान कराती है।
* दो अक्षांश रेखाओं के बीच में 111 km. का अन्तर होता है।
* '''देशान्तर रेखाएँ -''' वे काल्पनिक रेखाएँ जो ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाती है। ये '''360''' होती हैं। ये समय का ज्ञान कराती है। अतः इन्हें सामयिक रेखाएँ
* 0(degree) देशान्तर रेखा को ग्रीनविच मीन Time/ग्रीन विच मध्या।न रेखा कहते हैं। दो देशान्तर रेखाओं के बीच दूरी सभी जगह समान नहीं होती है, भूमध्य रेखा पर दो देशान्तर रेखाओं के बीच 111.31 किमी. का अन्तर होता है।
* 180(degree) देशान्तर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं जो बेरिंग सागर में से होकर जापान के पूर्व में से गुजरती हुई प्रशांत महासागर को काटती हुई दक्षिण की ओर जाती है।
* भारत Indian Standard Time (IST)  &nbsp; '''पूर्वी देशान्तर रेखा''' को मानता है। यह उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद के पास नैनी से गुजरती है।
* राजस्थान के देशान्तरीय विस्तार के कारण पूर्वी सीमा से पश्चिमी सीमा में समय का 36 मिनिट (4(degree) × 9 देशान्तर = 36 मिनिट) का अन्तर आता है अर्थात् धौलपुर में सूर्योदय के लगभग 36 मिनिट बाद जैसलमेर में सूर्योदय होता है।
* '''कर्क रेखा &nbsp; (\(21\frac{1}{2}^\circ\) उत्तरी अक्षांश)''' राजस्थान के डूंगरपुर जिले के चिखली गांव के दक्षिण से तथा बाँसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ तहसील लगभग मध्य में से गुजरती है।
* कुशलगढ़ (बाँसवाड़ा) में 21 जून को सूर्य की किरणें '''कर्क रेखा पर लम्बवत्''' पड़ती है।
* गंगानगर में सूर्य की किरणें '''सर्वाधिक तिरछी''' व बाँसवाड़ा में सूर्य की किरणें '''सर्वाधिक सीधी''' पड़ती है।