"ख़िलाफ़त आन्दोलन": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=दिसम्बर 2020}}
'''खिलाफत आन्दोलन''' (मार्च 1919-जनवरी 1921) मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था। मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओ के साथ-साथ अनेक मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकार्यवाही की सम्भावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू कर दी। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी दूसरे नेताओं को इस बात पर मना लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिये। यह आन्दोलन जनवरी 1921 को समाप्त हुआ।
 
'''खिलाफत आंदोलन का स्वरूप'''
 
अगर देखा जाए तो ख़िलाफत आंदोलन का स्वरूप राजनीतिक कम तथा धार्मिक ही ज्यादा था। इसीलिए तुर्की के खलीफा की बहाली के लिए खिलाफत आंदोलन छेड़ा गया था।
 
तुर्की के खलीफा की बहाली के लिए छिड़े इस आंदोलन को गांधी जी ने तुरंत समर्थन दे दिया और देखते ही देखते आंदोलन का स्वरूप हिंदू विरोधी आंदोलन में तब्दील हो जाता है जिसके नतीजे हम मोपला विद्रोह में देखने को मिलते हैं।
 
गांधी जी [https://www.pratiyogitatoday.com/2020/01/khilafat-movement-in-hindi.html खिलाफत आन्दोलन] को समर्थन देकर हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित करना चाहते थे परंतु सफलता नहीं मिली।
 
== इतिहास ==