"आजीविका": अवतरणों में अंतर

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जीवन में सरलता कितनी जरूरी है या व्यक्ति को कितना सरल होना चाहिए...
 
अमृतम पत्रिका, ग्वालियर से साभार...
 
भोजन के साथ तरल पदार्थ बस उतना ही जरूरी है। आप पर तरलता युक्त चीजों से पेट नहीं भर सकते। ऐसे ही जीवन में सरलता या सरल होना उतना ही पर्याप्त है, जितना जरूरी है।
 
मछली बहुत सरल होती है, उसे दुनिया खा रही है।
 
सरल आदमी का जीना बहुत मुश्किल है। अधिक सरल होने के लिए जीवन दिन भर गरल यानी विष पीना पड़ेगा।
 
हम जिस गर्ल यानी प्रेमिका के प्यार में पड़ते हैं वह शुरू में सरल दिखती है, फिर बाद खरल बन जाती है। खरल आयुर्वेद का एक यंत्र है, जिससे रस-भस्मों को महीन किया जाता है।
 
आपको सरल का उदाहरण पर्ल अर्थत मोती से लेना चाहिए वह ठोस भी होता है और सफेद चमकदार भी। चन्द्रमा की शान्ति हेतु या कर्क, वृश्चिक लग्न के लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी है।
 
सेना का जर्नल यदि ज्यादा सरल हो जाये, तो दूसरे देश की सेना, सीमा पर कब्जा कर लेगी।
 
अतः बहुत सीधा मत बनो।
 
बांस भी बहुत सीधा होता है, उसे लोग बाहर ही रखते हैं।
 
श्रद्धापूर्वक पूर्ण सरलता से सदाशिव के लिए समर्पित हो जाएं। फिर जो मिलेगा वह अनंत-अपार होगा…
 
चढ़े तो चाख्ये प्रेम रस,
गिरे तो चकनाचूर!!
 
शिवसाधना से सब कुछ मिलेगा और किसी के सामने सरल होने से चकनाचूर हो जाओगे।
कोई व्यक्ति जीवन के विभिन्न कालावधियों में जिस क्षेत्र में काम करता है या जो काम करता है, उसी को उसकी '''आजीविका''' या 'वृत्ति' या रोजगार या करिअर (Career) कहते हैं। आजीविका प्रायः ऐसे कार्यों को कहते हैं जिससे [[जीविकोपार्जन]] होता है। शिक्षक, डाक्टर, इंजिनीयर, प्रबन्धक, वकील, श्रमिक, कलाकार, आदि कुछ आजीविकाएँ हैं।