"डॉन (1978 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

छो →‎कथानक: भाषा शुद्धि
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धीरे धीरे विजय को डॉन केबारे में और अधिक जानकारी मिलती जाती है, और एक दिन रोमा की सहायता से वह घोषणा कर देता है, कि उसकी याद्दाश्त वापस आ चुकी है। इसी खुशी में एक पार्टी होती है, जिसमें पुलिस की रेड पड़ जाती है। इस रेड में गोलीबारी में डीसीपी डी'सिल्वा बुरी तरह घायल हो जाते हैं, और पुलिस विजय को डॉन समझकर पकड़ लेती है। विजय उन लोगों को सच बताता है, जिसके बाद पुलिस वाले उसे डीसीपी डी'सिल्वा के पास हस्पताल ले जाते है; किन्तु कुछ बोल पाने से पहले ही डीसीपी डी'सिल्वा की मृत्यु हो जाती है। विजय को एक ट्रक द्वारा हाई-सिक्योरिटी जेल भेजा जा रहा होता है, और वह ट्रक से भाग निकलने में सफल हो जाता है। इसके बाद वह स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए रोमा की मदद से खुद कोई तरकीब सोचने लगता है। विजय इस घटनाक्रम में बुरी तरह उलझ जाता है, क्योंकि पुलिस यह मानने से मना करती है कि वह विजय हैं, और साथ ही डॉन के अण्डरवर्ल्ड गिरोह को यह एहसास हो जाता है कि वह वास्तव में डॉन नहीं हैं। ऊपर से वह लाल डायरी, जो उसने डीसीपी डी'सिल्वा को दी थी, उसे जसजीत चुरा ले जाता है। विजय रोमा की सहायता से पुलिस और नारंग, अण्डरवर्ल्ड गिरोह के वर्तमान सरगना, दोनों को चकमा देने में सफल रहता है, और वापस अपनी पुरानी जिन्दगी में लौटने का प्रयास करता है।
 
विजय इण्टरपोल के अफसर, आर के मालिक से मिलने का आग्रह करता है, और उनसे कुछ समय की माँग करता है, ताकि वह अपनी बेगुनाही का प्रमाण ला सके। तब उसे पता चलता है कि जिसे वह अब तक इण्टरपोल अफसर आर के मालिक समझ रहा था, वह ही वास्तव में वरधान है, जो असली आर के मालिक को अगवा कर उनका भेष लेकर बैठा है। उसे यह भी पता चलता है कि डीसीपी डी'सिल्वा की हत्या भी वरधान ने ही की थी। विजय यह बात पुलिस के अन्य अधिकारीयों को बताने का प्रयास करता है, लेकिन वे लोग उसकी बातों पर विश्वास नहीं करते। इसके बाद विजय वरधान के सभी गुण्डों से स्वयं लड़ता है, और इसी बीच रोमा भी वह लाल डायरी ढूँढकर ले आती है। इसी लड़ाई में एक गुंडा रोमा से वह डायरी छीनकर उसे जला देता है। पुलिस उन लोगों को चारों तरफ से घेर लेती है, और उस समय विजय अपनी जेब से लाल दिएरीयडेयरी निकालकर उन्हें बताता है, की जो डायरी जलाई गई, वह वास्तव में नकली थी। डॉन वह डायरी पुलिस को देता है, और उसे निर्दोष घोषित कर उस पर लगे सभी प्रभार हटा दिए जाते हैं। असली आर के मालिक को छुड़ाकर पुलिस वरधान को गिरफ्तार कर लेती है, और विजय रोमा, जसजीत, दीपू तथा मुन्नी के साथ अपनी पुरानी जिन्दगी में लौट जाता है।
 
== पात्र ==