"हल्दी": अवतरणों में अंतर

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हल्दी कितनी मात्रा में खाना चाहिए और हल्दी का उबटन बनाने की विधि क्या है?...
अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र से साभार...
हल्दी का लेप या उबटन घर पर बनाने का फार्मूला…
 
हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा कहते हैं।
ज्यादा हल्दी खाने से शरीर में हल्दीघाटी का युद्ध होने लगता है।
हल्दी कफ या एलर्जिन की प्रेशनिव्होने पर ही सेवन करें। जिनका पित्तदोष अंसतुलित रहता है, उन्हें हल्दी से परहेज करना चाहिए।
हल्दी उबटन घर में कैसे बनाएं। जाने आयुर्वेदक फार्मूला...
हल्दी के साथ तेल, सेंधानमक, इलायची का पावडर, अनंतमूल का पावडर कच्चा दूध, अमृतम केशर, नीबू का रस और मधु पंचामृत मिलाकर लेप बनाकर एक घण्टे तक छोड़ देते हैं, ताकि वह फूलकर मिक्स हो जाय।
 
हल्दी के उबटन करने का तरीका…
 
इसे सुबह की धूप में बैठकर शरीर में उबटन करने से वर्ण निखरता है यानी त्वचा की गन्दगी पूरी तरह साफ हो जाती है। चेहरे पर निखार आता है।
 
वर्तमान समय में अब यह रश्म/परम्परा केवल शादी-विवाह तक सीमित रह गयी है। जबकि हल्दी का उबटन स्त्रियों को मासिक धर्म के बाद हर महीने अवश्य करना चाहिए।
 
 
हल्दी के उबटन से कभी जहर नहीं पड़ती, बुढापा जल्दी नहीं आता। माहवारी जल्दी बन्द नहीं होती। मोनोपॉज की समस्या नहीं आती।
 
प्राकृतिक खूबसूरती पाने के लिए दुनिया में हल्दी के उबटन से अच्छा उपाय अन्य कोई है ही नहीं।
 
कोई संक्रमण या एलर्जी हो, तो मिट जाती है।
 
त्वचा रोग/स्किन डिसीज से बचाव हेतु पुराने समय की महिलाएं हल्दी के वुबटन का प्रयोग करती थी। हल्दी बहुत हेल्दी होती है। लेकिन द्रव्यगुण विज्ञान शास्त्र के मुताबिक इसे एक दिन में अधिक से अधिक 100 मिलीग्राम तक ही लेना हितकारी है यानी 1 ग्राम में 1000 मिलीग्राम होता है। इसके हिसाब से एक महीने में 3 से 5 ग्राम तक हल्दी का सेवन लाभकारी है। हल्दी एंटीसेप्टिक, एंटीएलर्जिक ओषधि है।
 
हल्दी की ज्यादा मात्रा लेने से कफ सूखने लगता है। कुछ दिनों बाद फेफड़े सूखने लगते हैं। पित्त की वृद्धि होने लगती है।
 
चेतावनी… सावधान रहें—
 
आदर्श निघण्टी, वनोषधि चंद्रोदय आदि आयुर्वेदक ग्रन्थों में हल्दी का सेवन एक दिन में 80 से 100 मिलीग्राम से अधिक न करें। गूगल आदि पर लिखे ब्लॉगों/,लेखों में बताया गया है कि हल्दी एक दिन में एक से 2 चम्मच दूध के साथ लेवें। यह पूर्णतः भ्रामक जानकारी है। हल्दी के अधिक उपयोग से फेफड़े, वीर्य, कफ आदि सूखने लगते हैं। इससे सन्तानोत्पत्ति में समस्या हो सकती है।
 
कृपया ग्रन्थ या किताबों सन्दर्भों के बिना किसी भी बात पर भरोसा न करें। देश में एक षड्यंत्र के तहत अनेको फिजूल बाते फैलाई जा रही हैं, ताकि लोग बीमार होकर एलोपैथिक चिकित्सकों के चंगुल में आकर जीवन भर टेस्ट कराते-कराते जीने का टेस्ट भूल जाएं।
 
ध्यान रखें…
 
तुलसी एक दिन में 5 पत्तों से ज्यादा न चबाएं।
 
नीम की 1 या 2 पट्टी का रस चूसकर कंठ क़दव होने के बाद फेंक देंवें।
 
करेले का जूस 5 ml, एलोवेरा केवल गूदा एक चम्मच ही लेवें। लोंकी का जूस 10 से 15 मल तक ही लाभकारी होता है। बस इन्हें लेना लम्बे समय तक पड़ता है।
 
नीचे का यह चित्र आयुर्वेद की एक बहुत प्राचीन ग्रन्थ से लिया गया है। इसे धेर्यपूर्वक पढ़ें।
 
 
 
 
[[चित्र:FleurDeCurcuma1.jpg|right|thumb|300px|हल्दी का पौधा : इसके पत्ते बड़े-बड़े होते हैं।]]
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हल्दी" से प्राप्त