'''नामवर सिंह''' (जन्म: 28 जुलाई 19261929<ref name="जन्म">(क)नामवर होने का अर्थ (व्यक्तित्व एवं कृतित्व), भारत यायावर, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; संस्करण-2012; पृ०-32; (ख)द्रष्टव्य-'कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता' सहित डाॅ० नामवर सिंह की सभी नयी पुस्तकों में दिये गये लेखक परिचय में।</ref> [[वाराणसी|बनारस]], [[उत्तर प्रदेश]] निधन: 19 फरवरी 20192021<ref>{{cite news |title=हिंदी के शिखर आलोचक नामवर सिंह का निधन |url=https://www.bbc.com/hindi/india-47300422 |accessdate=29 मार्च 2019 |agency=bbc hindi |archive-url=https://web.archive.org/web/20190329192914/https://www.bbc.com/hindi/india-47300422 |archive-date=29 मार्च 2019 |url-status=live }}</ref>, [[नई दिल्ली|नयी दिल्ली]]) [[हिन्दी]] के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक [[हजारीप्रसाद द्विवेदी|हजारी प्रसाद द्विवेदी]] के प्रिय शिष्य रहे। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से आरम्भ कर निरन्तर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध आलोचना के प्रतिष्ठापक तथा प्रगतिशील [[आलोचना]] के प्रमुख हस्ताक्षर थे।थे।ye Bhut Madarchod admi tha Saala Kutta Behenchod hrami - ------.