"इल्तुतमिश": अवतरणों में अंतर
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{{स्रोतहीन|date=जून 2015 ,पुस्तक- एल पी शर्मा}}
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| name =शम्स-उद-दीन
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| image= [[चित्र:Iltutmish Tomb Delhi in 1860.jpg |200px|]]
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| reign =१२१०-३० अप्रैल, १२३६
| coronation =
| full name =शम्स-उद-दीन
| predecessor =[[आरामशाह|आराम शाह]]
| successor =[[रूकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह|रुक्नुद्दीन फ़िरोज़]]
पंक्ति 21:
| death_place =[[दिल्ली]]
| burial_date =
| burial_palce =[[कुतुब मीनार]] परिसर, [[महरौली]], [[दिल्ली]]▼
| religion =[[इस्लाम]]
'''शम्सुद्दीन
== प्रतिद्वंदी ==
कुबाचा ने [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] तथा उसके आसपास के क्षेत्रों पर अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी। सन् 1217 में उसने कुबाचा के विरूद्ध कूच किया। कुबाचा बिना युद्ध किये भाग गया।
इसी समय मंगोलों के आक्रमण के कारण
वह एक कुशल शासक होने के अलावा कला तथा विद्या का प्रेमी भी था।
== कठिनाइयों से सामना ==
[[File:Delhisultanatet under iltutmish.jpg|left|thumb|
सुल्तान का पद प्राप्त करने के बाद
1215 से 1217 ई. के बीच इल्तुतिमिश को अपने दो प्रबल प्रतिद्वन्द्धी 'एल्दौज' और 'नासिरुद्दीन क़बाचा' से संघर्ष करना पड़ा। 1215 ई. में इल्तुतिमिश ने एल्दौज को पराजित किया। 1217 ई. में इल्तुतिमिश ने कुबाचा से लाहौर छीन लिया तथा 1228 में उच्छ पर अधिकार कर कुबाचा से बिना शर्त आत्मसमर्पण के लिए कहा। अन्त में कुबाचा ने सिन्धु नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। इस तरह इन दोनों प्रबल विरोधियों का अन्त हुआ।
== मंगोलों से बचाव ==
मंगोल आक्रमणकारी चंगेज़ ख़ाँ की बेटी से से जलालुद्दीन मुगबर्नी का प्रेमप्रसंग था जिसके के भय से भयभीत होकर ख्वारिज्म शाह का पुत्र 'जलालुद्दीन मुगबर्नी' वहां से भाग कर पंजाब की ओर आ गया। चंगेज़ ख़ाँ उसका पीछा करता हुए लगभग 1220-21 ई. में सिंध तक आ गया। उसने
== विजय अभियान ==
1225 में
== वैध सुल्तान एवं उपाधि ==
== सिक्कों का प्रयोग ==
== मृत्यु ==
बामियान अभियान पर आक्रमण करने के लिए जाते समय मार्ग में
=== रज़िया को उत्तराधिकार ===
रज़िया सुल्तान
== निर्माण कार्य ==
स्थापत्य कला के अन्तर्गत
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