"चाणक्य": अवतरणों में अंतर
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'''चाणक्य ब्रह्मभट्ट''' (अनुमानतः ईसापूर्व 376 - ईसापूर्व 283) [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के महामंत्री थे। वे '''कौटिल्य''' या '''विष्णुगुप्त मौर्य''' नाम से भी विख्यात हैं। आचार्य श्री ''चणक'' के शिष्य होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। विष्णुगुप्त मौर्य कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यो में करने के कारण वह; कौटिल्य' 'कहलाये। वास्तव में आचार्य विष्णुगुप्त मौर्य अपने कर्मो से सच्चे
[[विष्णु पुराण|विष्णुपुराण]], [[भागवत पुराण|भागवत]] आदि पुराणों तथा [[कथासरित्सागर]] आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथो में भी इनकी कथा बराबर मिलती है। [[बुद्धघोष]] की बनाई हुई [[विनयपिटक]] की टीका तथा महानाम स्थविर रचित [[महावंश]] की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया हुआ है। चाणक्य [[तक्षशिला]] (एक नगर जो [[रावलपिंडी]] के पास था) के निवासी थे। इनके जीवन की घटनाओं का विशेष संबंध मौर्य [[चंद्रगुप्त]] की राज्यप्राप्ति से है। ये उस समय के एक प्रसिद्ध विद्वान थे, इसमें कोई संदेह नहीं। कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे।
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