"मन्वन्तर": अवतरणों में अंतर

गणना को सही किया है।
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
प्रथम मनु से अभी तक के मनवन्तरों की गणना में चतुर्युगी ओर कल्पों के मध्य के संध्याओं के काल को जोड़कर व्यतीत हो चुकी काल गणना को सुधार दिया गया।
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 3:
'''मन्वन्तर''' <ref>[http://www.sacred-texts.com/the/sd/sd1-2-07.htm Manuantara] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20080706192022/http://www.sacred-texts.com/the/sd/sd1-2-07.htm |date=6 जुलाई 2008 }} [[The Secret Doctrine]] by [[H. P. Blavatsky]], Vol. 1, p. 368, THE DAYS AND NIGHTS OF BRAHMA, THIS is the name given to the Periods called MANVANTARA (Manuantara, or between the Manus) and PRALAYA (Dissolution); one referring to the active periods of the Universe, the other to its times of relative and complete rest -- according to whether they occur at the end of a "Day," or an "Age" (a life) of Brahma. These periods, which follow each other in regular succession, are also called Kalpas, small and great, the minor and the Maha Kalpa; though, properly speaking, the Maha Kalpa is never a "day," but a whole life or age of Brahma, for it is said in the Brahma Vaivarta: "Chronologers compute a Kalpa by the Life of Brahma; minor Kalpas, as Samvarta and the rest, are numerous." In sober truth they are infinite; as they have never had a commencement, i.e., there never was a first Kalpa, nor will there ever be a last one, in Eternity.</ref>, [[मनु]] <ref name=Manu/>, हिन्दू धर्म अनुसार, मानवता के प्रजनक, की आयु होती है। यह समय मापन की खगोलीय अवधि है। मन्वन्तर एक संस्कॄत शब्द है, जिसका संधि-विच्छेद करने पर = मनु+अन्तर मिलता है। इसका अर्थ है मनु की आयु<ref>{{Cite web |url=http://namahatta.org/en/node/6996 |title=श्रीमद-भग्वतम 3.13.14-16 |access-date=25 जून 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20090422082614/http://namahatta.org/en/node/6996 |archive-date=22 अप्रैल 2009 |url-status=dead }}</ref>.
 
प्रत्येक मन्वन्तर एक विशेष मनु द्वारा रचित एवं शासित होता है, जिन्हें [[ब्रह्मा]] द्वारा सॄजित किया जाता है। मनु विश्व की और सभी प्राणियों की उत्पत्ति करते हैं, जो कि उनकी आयु की अवधि तक बनती और चलती रहतीं हैं, (जातियां चलतीं हैं, ना कि उस जाति के प्राणियों की आयु मनु के बराबर होगी). उन मनु की मॄत्यु के उपरांत ब्रह्मा फ़िर एक नये मनु की सृष्टि करते हैं, जो कि फ़िर से सभी सृष्टि करते हैं। इसके साथ साथ [[भगवान विष्णु]] भी आवश्यकता अनुसार, समय समय पर अवतार लेकर इसकी संरचना और पालन करते हैं। इनके साथ ही एक नये [[इंद्र]] और [[ब्रम्हा के मानस पुत्र सप्तर्षि]] भी नियुक्तउत्पन्न होते हैं।
 
चौदह मनु और उनके मन्वन्तर को मिलाकर एक [[कल्प]] बनता है। यह ब्रह्मा का एक दिवस होता है। यह [[हिन्दू समय चक्र]] और [[वैदिक समयरेखा]] के नौसार होता है। प्रत्येक कल्प के अन्त में [[प्रलय]] आती है<ref>[http://www.sacred-texts.com/the/sd/sd2-1-18.htm Pralaya] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20080706191126/http://www.sacred-texts.com/the/sd/sd2-1-18.htm |date=6 जुलाई 2008 }} [[The Secret Doctrine]] by [[H. P. Blavatsky]], Vol. 2, p. 307 THE SEVEN AND FOURTEEN MANUS.</ref>, जिसमें ब्रह्माण्ड का संहार होता है और वह विराम की स्थिति में आ जाता है, जिस काल को ब्रह्मा की रात्रि कहते हैं।
पंक्ति 32:
और 28वें चतुर्युगी के सतयुग , द्वापर , त्रेतायुग और कलियुग की 5123 वर्ष की कुल आयु = 1728000+1296000+864000+5123 = 3893123 वर्ष
इस प्रकार वर्तमान मे 28 वें चतुर्युगी के कलियुग की 5123 वें वर्ष तक की कुल आयु = 27वे चतुर्युगी की कुल आयु + 3893123 = 116640000+3893123 = 120533123 वर्ष
इस प्रकार कुल वर्ष जो बीत चुके है = 6 मन्वन्तर की कुल आयु + 7 वें मन्वन्तर के 28वीं चतुर्युगी के कलियुग की 5123 वें वर्ष तक की कुल आयु = 1840320000+120533123 = 1960853123 वर्ष .प्रत्येक चतुर्युगी के पूर्व और पश्चात उषा और संध्या काल होता है और प्रत्येक कल्प के प्रारंभ में त्रेता युग के बराबर संधि पर संध्याओं का समय होता है. इन्हें जोड़कर वर्तमान मे 1972949519 वर्ष सम्वत् 2058 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ईस्वी सन् 2021में पूर्ण हुऐ। 1972949520 वां वर्ष चल रहा है और बचे हुए 2349146877 वर्ष भोगने है जो इस प्रकार है ...
सृष्टि की बची हुई आयु = सृष्टि की कुल आयु - 19608531231972949520 = 23591468772347050480 वर्ष |
अत: वर्तमान मे 1960853123 वां वर्ष चल रहा है और बचे हुए 2359146877 वर्ष भोगने है जो इस प्रकार है ...
यह गणना स्कन्द पुराण इत्यादि में दो गयी है जो पुरी शंकराचार्य श्री निश्चलानन्द सरस्वती द्वारा द्वारा उत्तरित है।
सृष्टि की बची हुई आयु = सृष्टि की कुल आयु - 1960853123 = 2359146877 वर्ष |
यह गणना महर्षिदयानन्द रचित [[ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका]] के आधार पर है.
 
== श्वेतवाराह [[कल्प]] के [[मनु]] ==