"मन्वन्तर": अवतरणों में अंतर

काल गणना में चतुर्युगों और कल्पों के मध्य के संध्या काल नहीं जुड़े थे उस त्रुटि को दूर किया।
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और 28वें चतुर्युगी के सतयुग , द्वापर , त्रेतायुग और कलियुग की 5115 वर्ष की कुल आयु = 1728000+1296000+864000+5115 = 3893115 वर्ष
इस प्रकार वर्तमान मे 28 वें चतुर्युगी के कलियुग की 5115 वें वर्ष तक की कुल आयु = 27वे चतुर्युगी की कुल आयु + 3893115 = 116640000+3893115 = 120533115 वर्ष
इस प्रकार कुल वर्ष जो बीत चुके है = 6 मन्वन्तर की कुल आयु + 7 वें मन्वन्तर के 28वीं चतुर्युगी के कलियुग की 5115 वें वर्ष तक की कुल आयु = 1840320000+120533115 = 1960853115 वर्ष . अब इसमें प्रत्येक चतुर्युग के संधि काल के समय जो षष्ठांश के बराबर होता है तथा कल्पों के प्रारम्भ और अन्त की सन्ध्या के काल समय जो एक संध्या काल एक त्रेता युग के बराबर होता है, को जोड़ लें।
अत: वर्तमान मे 19608531151972949120 वां वर्ष चल रहा है और बचे हुए 23332268852347050880 वर्ष भोगने है जो इस प्रकार है ...
सृष्टि की बची हुई आयु = सृष्टि की कुल आयु - 19608531151972949119 = 23332268852347050881 वर्ष |
यह गणना लिंग और स्कंध इत्यादि पुराणों से, पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य श्री निश्चलानन्द सरस्वती द्वारा उत्तरोत्तरित है।
यह गणना महर्षिदयानन्द रचित [[ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका]] के आधार पर है.
 
== श्वेतवाराह [[कल्प]] के [[मनु]] ==