"रानी लक्ष्मीबाई": अवतरणों में अंतर

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वारणासी की उस धरती पर
जो शेरनी बनकर इस दुनिया में आई,
मणिकर्णिका था जिसका नाम
वो मोरोपंत तांबे की बेटी कहलाई
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जिसने अंग्रेजो को मारने की ठानी
वो राजा गंगाधर की पत्नी कहलाई,
था मुंह बोला भाई नवाब अली
महिलाओं की थी सेना बनाई
 
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पवन बादल सारंगी पर होकर सवार
57की थी लड़ी लड़ाई,
देखकर सभी भारतीयों में उसको
जान में थी जान आई
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बचपन में खेलने के लिए
तलवार थी जिसने गले लगाई,
23 साल की छोटी उम्र में
भारत के लिए जान गवाई
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जिसने तत्या टोपे के साथ मिलकर
ग्वालियर के एक किले में थी ध्वजा लहराई,
हमशक्ल सहेली झलकारी बाई संग
फिरंगियों की थी सेना भरमाई
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पीठ पर लाद बेटे दामोदर को
घुड़सवार होकर लड़ती रही लड़ाई,
18 जून 1858 ग्वालियर में जिसने
झांसी को बचाते हुए थी वीर गति पाई