"भीष्म": अवतरणों में अंतर
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[[Image:Bheeshma oath by RRV.jpg|right|thumb|300px|भीष्म प्रतिज्ञा]]
'''भीष्म''' अथवा '''भीष्म पितामह''' [[महाभारत]] के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। भीष्म
इन्हें अपनी उस [[भीष्म|भीष्म प्रतिज्ञा]] के लिये भी सर्वाधिक जाना जाता है जिसके कारण इन्होंने राजा बन सकने के बावजूद आजीवन [[हस्तिनापुर]] के सिंहासन के संरक्षक की भूमिका निभाई। इन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया व ब्रह्मचारी रहे। इसी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए महाभारत में उन्होने कौरवों की तरफ से युद्ध में भाग लिया था। इन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था। यह कौरवों के पहले प्रधान सेनापति थे। जो सर्वाधिक दस दिनो तक कौरवों के प्रधान सेनापति रहे थे। कहा जाता है कि द्रोपदी ने शरसय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह से पूछा की उनकी आंखों के सामने चीर हरण हो रहा था और वे चुप रहे तब भीष्म पितामह ने जवाब दिया कि उस समय मै कौरवों के नमक खाता था इस वजह से मुझे मेरी आँखों के सामने एक स्त्री के चीरहरण का कोई फर्क नही पड़ा,परंतु अब अर्जुन ने बानो की वर्षा करके मेरा कौरवों के नमक ग्रहण से बना रक्त निकाल दिया है, अतः अब मुझे अपने पापों का ज्ञान हो रहा है अतः मुझे क्षमा करें द्रोपदी। <ref>{{cite web|url=http://www.bhaskar.com/article-hf/HAR-AMB-mahabharat-characters-known-less-to-people-haryana-4476348-PHO.html?seq=12|title=महाभारत के वो 10 पात्र जिन्हें जानते हैं बहुत कम लोग!|date=२७ दिसम्बर २०१३|publisher=दैनिक भास्कर|archiveurl=http://archive.is/XqPVe|archivedate=२८ दिसम्बर २०१३}}</ref> महाभारत युद्ध खत्म होने पर इन्होंने गंगा किनारे इच्छा मृत्यु ली।
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