"अहल अल-हदीस": अवतरणों में अंतर

तीन तलाक मानते है लेकिन एक बार मे तीन तलाक नहि मानते तीन तलाक तीन मजलिस मे तीन बार कहना पडता है । और उसके लिर हर बार एक महिनावारी के बाद कहना पडता है ।
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 5:
इसी समुदाय को [[सल्फ़ी सुन्नी]] और [[अहले-हदीस]], [[अहले-तौहिद]] आदि के नाम से जाना जाता है। यह संप्रदाय चारों इमामों के ज्ञान, उनके शोध अध्ययन और उनके साहित्य की क़द्र करता है।
 
लेकिन उसका कहना है कि इन इमामों में से किसी एक का अनुसरण अनिवार्य नहीं है। उनकी जो बातें क़ुरान और हदीस के अनुसार हैं उस पर अमल तो सही है लेकिन किसी भी विवादास्पद चीज़ में अंतिम फ़ैसला क़ुरान और हदीस का मानना चाहिए। [[अहले-हदीस]] उर्फ [[सलफ़ी सुन्नी]] इसी लिए एक बार मे तीन तलाक़ और हलाला जैसे मान्यताओ को नही मानते क्यो की इसका सबूत क़ुरान या हदीस में नही मिलता।
 
[[सल्फ़ी सुन्नी]] समूह का कहना है कि वह ऐसे इस्लाम का प्रचार चाहता है जो पैग़म्बर मोहम्मद के समय में था।