"डिंगल": अवतरणों में अंतर
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पिंगल साहित्य राव जाती के कवियों द्वारा लिखित है पिंगल राव जाती की साहित्यिक भाषा है अधिकांश राव कवियों ने पिंगल में साहित्य सर्जन किया हैं टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छो ये बिल्कुल सत्य है टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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[[राजस्थान]] के चारण कवियों ने अपने गीतों के लिये जिस साहित्यिक शैली का प्रयोग किया है, उसे '''डिंगल''' कहा जाता है। वैसे चारण कवियों के अतिरिक्त [[पृथ्वीराज राठौड़]] जैसे अन्य कवियों ने भी डिंगल शैली में रचना की है। वास्तव में डिंगल और [[पिङ्गल|पिंगल]] साहित्यिक राजस्थानी के दो प्रकार हैं। डिंगल पश्चिमी राजस्थानी का साहित्यिक रूप है, इसका अधिकतर साहित्य [[चारण]] कवियों द्वारा लिखित है जबकि पिंगल पूर्वी राजस्थानी का साहित्यिक रूप है और इसका अधिकतर साहित्य [[राव]] जाति की कवियों द्वारा लिखित है।
साहित्यिक भाषाशैली के लिये "डींगल" शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग [[बाँकीदास]] ने [[कुकवि बतीसी]] (1871 वि0 सं0) में किया है : 'डींगलियाँ मिलियाँ करै, पिंगल तणो प्रकास'।
वस्तुत: राजस्थानी भाषा को डिंगल भाषा से ही वियुतपित है कहना ग़लत नहीं होगा ।
== शब्द व्युत्पत्ति ==
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