"वर्षा जल संचयन": अवतरणों में अंतर
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[[Image:Bawdi.jpg|thumb|right|180px|फतेहपुर, [[शेखावाटी]] का एक स्टेपवैल। यह हिन्दी फिल्म [[पहेली (2005 फ़िल्म)|पहेली]] में भी दिखाया गया था]]
[[Image:CatchingHillRunoffwater.JPG|thumb|right|180px|पहाड़ियों में जल संचयन की प्रणाली का आरेख]]
'''वर्षा जल संचयन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''वाटर हार्वेस्टिंग '') [[वर्षा]] के [[जल]] को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण [[पृथ्वी]]
जल संचयन में घर की छतों, स्थानीय कार्यालयों की छतों या फिर विशेष रूप से बनाए गए क्षेत्र से वर्षा का एकत्रित किया जाता है। इसमें दो तरह के गड्ढे बनाए जाते हैं। एक गड्ढा जिसमें दैनिक प्रयोग के लिए जल संचय किया जाता है और दूसरे का सिंचाई के काम में प्रयोग किया जाता है। दैनिक प्रयोग के लिए पक्के गड्ढे को [[सीमेंट]] व [[ईंट]] से निर्माण करते हैं, और इसकी गहराई सात से दस [[फीट]] व लंबाई और चौड़ाई लगभग चार फीट होती है। इन गड्ढों को नालियों व नलियों (पाइप) द्वारा छत की नालियों और टोटियों से जोड़ दिया जाता है, जिससे वर्षा का जल साधे इन गड्ढों में पहुंच सके, और दूसरे गड्ढे को ऐसे ही (कच्चा) रखा जाता है। इसके जल से खेतों की सिंचाई की जाती है। घरों की छत से जमा किए गए पानी को तुरंत ही प्रयोग में लाया जा सकता है। विश्व में कुछ ऐसे इलाके हैं जैसे [[न्यूजीलैंड ]], जहां लोग जल संचयन प्रणाली पर ही निर्भर रहते हैं। वहां पर लोग वर्षा होने पर अपने घरों के छत से पानी एकत्रित करते हैं।
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