"झारखण्डे राय": अवतरणों में अंतर
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० एक बार मंत्री, 3 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे इस जननेता ने आजादी के बाद भी 18 बार जेल यात्राएं की
० ब्रितानिया हुकूमत ने उन्हें 21 साल का कारवास की सजा दी थी.
"उन्हें मित्रों, परिचितों और सरकारों को चिट्ठियां लिखने का बहुत शौक था. चिट्ठियों के लिखने के उनके खास तरीके से सभी सम्मोहित हो जाते थे. उनकी चिट्ठियों में खास बात यह होती थी कि वह जिस स्थान से चिट्ठी लिखते, उस स्थान-विशेष के नाम का उल्लेख जरूर करते, जैसे यदि किसी ट्रेन में यात्रा के दौरान चिट्ठी लिख रहे हैं तो, उसमें ऊपर लिखतेंं.. " फलां ट्रेन से चिट्ठी..".
ईमानदार इतना कि दिल्ली में जब निधन हुआ तो उनके शव को गांव लाने भर के पैसे नहीं थे, और बेटे अशोक को लोगो से चंदा मांग कर उन्हें अमिला लाना पड़ा. शुभचिंतकों और मित्रों ने जब उनके बैंक खातों को खंगाला तो उसमें फूटी कौड़ी तक नहीं थी. यही नहीं
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