"राजगुरु": अवतरणों में अंतर
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'''शिवराम हरि राजगुरु''' ([[मराठी भाषा|मराठी]]: शिवराम हरी राजगुरू, [[जन्म]]:२४ अगस्त१९०८-[[मृत्यु]]:२३ मार्च १९३१) [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। इन्हें [[भगत सिंह]] और [[सुखदेव]] के साथ २३ मार्च १९३१ को [[फाँसी]] पर लटका दिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के [[इतिहास]] में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी।
'''शिवराम हरि राजगुरु''' का जन्म
[[वाराणसी]] में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी '''हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी ''' से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें '''रघुनाथ''' के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित [[चन्द्रशेखर आज़ाद]], सरदार [[भगत सिंह]] और '''यतीन्द्रनाथ दास''' आदि क्रान्तिकारी इनके अभिन्न मित्र थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया था जबकि [[चन्द्रशेखर आज़ाद]] ने छाया की भाँति इन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की थी।
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