"बर्लिन कांग्रेस": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Berliner kongress.jpg|300px|thumb|right|बर्लिन कांग्रेस]]
'''बर्लिन कांग्रेस or europe par pade prabhav''' (13 जून – 13 जुलाई 1878) [[बर्लिन]] में सम्पन्न एक सम्मेलन था जिसमें उस समय की महाशक्तियाँ ([[रूस]], [[ग्रेट ब्रिटेन]], [[फ्रांस]], [[आस्ट्रिया]]-हंगरी, [[इटली]] तथा [[जर्मनी]]), चार बाल्कन राज्य ([[ग्रीस]], [[सर्बिया]], [[रोमानिया]], [[मान्टीनिग्रो]]) और [[उस्मानी साम्राज्य]] ने भाग लिया था। इसका उद्देश्य 1877-78 के [[रूस-तुर्की युद्ध]] के बाद बाल्कन प्रायद्वीप के राज्यों की सीमायें तय करना था। इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप [[बर्लिन की संधि]] पर हस्ताक्षर हुए जिसने रूस और उस्मानी साम्राज्य में मात्र तीन माह पूर्व सम्पन्न [[सान स्टिफानों की संधि]] का स्थान ग्रहण किया।
 
==परिचय==
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==बर्लिन कांग्रेस की समीक्षा==
इस प्रकार यूरोप के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन द्वारा पूर्वी समस्या का समाधान करने का प्रयत्न किया, किन्तु यह सम्मेलन इस समस्या का समाधान करने में असफल रहा। यह समस्या पूर्व के समान ही जटिल बनी रही। इंगलैंड के प्रधानमंत्री [[डिजराइली]] का यह कथन था कि वह गौरवमय शान्ति की स्थापना करने में सफल हुआ, सत्य से बहुत दूर है। वास्तव में इस संधि में ऐसे तत्व निहित हैं जिन्होंने भविष्य के युद्धों के लिए कारण प्रस्तुत किये जो इस प्रकार हैं-
 
*1. बाल्कन राज्यों की राष्ट्रीयता की अवहेलना
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*6. बाल्कन राज्यों को असंतोष
*7. जर्मनी और रूस के संबंधों में कटुता
 
अतः यह कहना उचित होगा कि यह संधि किसी को भी प्रसन्न करने में सफल नहीं हुई और पूर्वी समस्या यथावत् बनी रही।
 
==इन्हें भी देखें==
* [[बर्लिन सम्मेलन]]
 
[[श्रेणी:राजनयिक सम्मेलन]]
[[श्रेणी:विश्व का इतिहास]]
[[श्रेणी:History]]