"रबी की फ़सल": अवतरणों में अंतर

छो 106.207.26.217 (Talk) के संपादनों को हटाकर संजीव कुमार के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
छोNo edit summary
पंक्ति 7:
 
==परिचय==
आलू, गेहूं, चना, अलसी,मटर व सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं,
कठिया गेहूं, देशी चना, अलसी व सरसों चारों क्रमशः अनाज, दलहन व तिलहन की फसलें हैं, जो कम पानी में हो जाती हैं। यदि ये फसले देशी प्रजाती की हों, तो सूखा को सहन करने की क्षमता इनके अंदर अधिक होती है। इसके साथ ही ये सभी फसलें किसान की खाद्यान्न आपूर्ति के लिए भी सहायक होती हैं। फसलों की विविधता होने से किसान को जोखिम भी कम उठाना पड़ता है अर्थात् जोखिम की संभावना कम हो जाती है। चित्रकूट सूखे बुंदेलखंड का अति पिछड़ा जनपद है। अन्य क्षेत्रों की तरह कम व अनियमित वर्षा, सिंचाई के अभाव में सूखती खेती और बदहाल होता किसान चित्रकूट की भी नियति है। यहीं का एक ग्राम पंचायत है- रैपुरा, जिसके अंतर्गत तीन राजस्व गांव गहोरा खास, गहोरापाही व कैरी कटनाशा हैं। इन गांवों की कुल आबादी 5794 है, जिसमें लगभग सभी जातियों के लोग निवास करते हैं। मुख्यतः ब्राह्मण, कुर्मी, यादव, कुम्हार, गुप्ता, लोहार. बढ़ई, साहू, मुस्लिम, हरिजन, नाई जातियां यहां पर निवास करती हैं। यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत खेती हैं, परंतु उबड़-खाबड़ ज़मीन एवं सिंचाई के साधनों के अभाव के चलते वर्षा आधारित खेती होने के कारण पिछले 10 वर्षों से सूखा पड़ने की स्थिति में लोगों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है। ऐसी स्थिति में ग्राम रैपुरा के कुछ किसानों ने रबी के मौसम में मिश्रित खेती करके सूखे का मुकाबला करने का विचार किया, उसे अपनाया और अपने नुकसान को कम किया।
 
==बुवाई की तैयारी==
पंक्ति 32:
* [[मटर]]
*[[तारामीरा]]
*[आलुआलू]]
 
== इन्हें भी देखें ==