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| s1 = गुर्जर-प्रतिहार राजवंश
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'''पुष्यभूति राजवंश''' या '''वर्धन राजवंश''' ने [[भारत]] के उत्तरी भाग में ६ठी तथा ७वीं शताब्दी में शासन किया। इस [[क्षत्रिय]] ([[राजपूत]])<ref name="BCA1">{{cite book |title=Rulers, Townsmen and Bazaars: North Indian Society in the Age of British Expansion, 1770-1870 |volume=28 |series=Cambridge South Asian Studies |first=C. A. |last=Bayly |publisher=CUP Archive |year=1988 |isbn=978-0-521-31054-3 |url=https://books.google.com/books?id=xfo3AAAAIAAJ&pg=PA96 |pages=96–100}}</ref> वंश का सबसे प्रतापी तथा अन्तिम राजा [[हर्षवर्धन]] हुआ जिसके शासन काल में यह वंश अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा। भारत का अधिकांश उत्तरी तथा पश्चिमोत्तर भाग इस समय हर्ष के साम्राज्य के अन्तर्गत था। यह साम्राज्य पूर्व में [[कामरूप]] (वर्तमान में असम) से दक्षिण में [[नर्मदा नदी]] तक फैला हुआ था। इसकी राजधानी [[कन्नौज]] थी। इस वंश का शासन ६४७ई तक रहा।<ref name="Historic Places p.507">International Dictionary of Historic Places: Asia and Oceania by Trudy Ring, Robert M. Salkin, Sharon La Boda p.507</ref>
 
==सन्दर्भ==