"शीघ्रपतन": अवतरणों में अंतर

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{{wikify}}शीघ्र गिर जाने को '''शीघ्रपतन''' कहते हैं। सेक्स के मामले में यह शब्द [[वीर्य]] के स्खलन के लिए प्रयोग किया जाता है। पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, [[स्त्री सहवास]] करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं। इस व्याधि का संबंध स्त्री से नहीं होता, पुरुष से ही होता है और यह व्याधि सिर्फ पुरुष को ही होती है।
,सेक्स से शरीर को शक्ति मिलती है और मन को रिलैक्स। अगर व्यक्ति सेक्स न करें, तो तनाव बढ़ने लगता है, इससे तन की नाव को डूबने का खतरा रहता है। दुनिया में सेक्स न कर पाने के कारण लगभग 12 फीसदी लस्त्री-पुरुष मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं।
शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है।
स्वस्थ्य शरीर के लिए समय पर भोजन तथा समय पर चोदन दोनों को महाधन बताया है। सेक्स तन-मन के विकारों को जड़ से मिटाता है।
सेक्स, मैथुन, सम्भोग, रतिक्रिया सहवास की वह क्रिया है। जिसमें पुरुष का लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश करता है। यह विभिन्न प्रजातियों में अलग अलग प्रकार से होता है। सेक्स ऐसी ही कामवासना है।
सेक्स अपने-आप में एक ध्यान प्रक्रिया है।
सेक्स से मस्तिष्क पूरी तरह शांत हो जाता है।
सेक्स प्रेरित भी करता है, कुछ पाने के लिए।
ओशो कहते हैं कि-सम्भोग से समाधि भी पाई जा सकती है। सेक्स का कीड़ा दिमाग में सदैव पीड़ा पहुंचाता रहता है। पैन का बीड़ा मुख में दबाकर सेक्स करने की समय सीमा में वृद्धि होती है।
सेक्स से सफलता…
शादी का उल्टा दिशा होता है और सबने देखा होगा कि शादी के बाद व्यक्ति अच्छी सफलता पाता है। विवाह के बाद ही पुरुष की वाह-वाह होने लगती है। वह जिम्मेदारी समझने लगता है।
सेक्स हमारे लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक है।
सेक्स हमेशा उत्साहित होकर ही करें। यह ईश्वर की बनाई व्यवस्था है। कुछ लोग सेक्स को गन्दा मानते हैं, लेकिन कामसूत्र में सेक्स के बारे में बहुत विस्तार से एवं वैज्ञानिक तरीके से लिखा है।
महाभारत के आदिपर्व: ६२-५३ में उल्लेख है…
धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च पुरुषर्षभ।
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित।
काम को चतुर्थ पुरुषार्थों में से तीसरा बताया है।
आइए जानते हैं- सेक्स (काम) क्या है?
क्यों जरूरी है काम/ सेक्स ?
काम/सेक्स के आसान आसन, क्रियाएं
काम/सेक्स की हर्बल चिकित्सा
काम यानि सेक्स की शुरुआत –
जब परमात्मा ने सृष्टि का निर्माण कर स्त्रियों और पुरुषों को बनाया, तो उन्होंने जीवन के चार जरूरी आयामों के बारे में बताया। ये चार जरूरी आयाम हैं-
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
इन चारों पुरुषार्थों में काम (सेक्स) का विशेष
महत्व है।
कामनाओं की इच्छा है काम…
काम तनाव नाशक चिकित्सा है। काम से बाद ही अनेक मानसिक रोगों का काम-तमाम होता है। काम से जब आराम मिलता है, तभी पुरुष कुछ काम कर कमाने की सोचता है।
काम चतुर्वर्ग में तृतीय स्थान पर आता है। समस्त प्रकार की कामनाओं या इच्छाओं का नाम काम है। शास्त्र धर्म व अर्थ के अविरोध में ही काम के सेवन की अनुमति देते हैं तथा धर्म विरुद्ध सुखों का उपभोग निंदित मानते हैं।
सेक्स/SEX) काम
काम की कला — सेक्स के बारे में शास्त्रमत काम की बात…
धर्म के बारे में लिखा –महर्षि मनु ने, अर्थ (धन- सम्पदा) की बातें लिखी गुरु बृहस्पति ने और काम (सेक्स/sex) के विषय पर विस्तार से बताया है, जिसे नंदिकेश्वर की किताब को ‘काम’ का सूत्र यानि ‘कामसूत्र’ कहा गया। यह कामसूत्र एक हजार भागों में विभाजित था। बाद में इसका संपादन कर इसे छोटा किया महर्षि उद्दालक के पुत्र श्वेतकेतु ने।
ततपश्चात संपादन किया बाभ्रव्य ने, जो पांचाल देश (आज के दिल्ली का दक्षिण क्षेत्र) के राजा, ब्रह्मदत्त के राज्य में मंत्री थे। बाभ्रव्य ने कामसूत्र को सात प्रमुख भागों में विभाजित कर दिया। इन सातों भागों पर कामसूत्र की अलग-अलग किताब लिखी गई। कामसूत्र के ये सात भाग थे।
कौटिल्य का कथन है-
!!धर्मार्थाविरोधेन कामं सेवेत!!
इस प्रकार काम पुरुषार्थ का तात्पर्य है, धर्म की मर्यादा में रहकर काम सेक्स में प्रवृत्त होना। काम के बिना प्रवृत्ति सम्भव नहीं है तभी तो महर्षि व्यास ने लिखा है कि-
!!सनातनो हि संकल्पः कामः इत्यभिधीयते!!
कामशास्त्र के अनुसार : – –
【】इन्द्रियों की स्वविषयो की तरफ प्रवृत्ति,
【】मैथुन की इच्छा,
【】 कामवासना ,
【】चंद्रमा की कला,
【】कामातुर होना, काम-ताप काम-ज्वर
【】कामान्ध, कन्दर्प, अनंग, कामइच्छा
【】 ब्याह-शादी,
क्या कहते हैं — धर्मग्रंथ
सेक्स (काम) के इतिहास में प्राचीनकाल से ही
भारत की भूमिका अति महत्वपूर्ण रही है क्योंकि हिंदुस्तान में ही सबसे पहले कामग्रन्थ “कामसूत्र” की रचना हुई जिसमें संभोग को धर्म एवं विज्ञान के रूप में देखा गया।
लाखों वर्षों से “कामकला” साहित्य के माध्यम से यौन शिक्षा (सेक्स एजुकेशन) का अग्रदूत (गुरु) भारत ही रहा है। इस ग्रंथ में बताया है कि काम/सेक्स भी एक कला है।
कामसूत्र” का नाम सुनते ही लोग सचेत हो जाते हैं, इस शब्द का उपयोग करने से हर कोई कतराता है। ना केवल इस ग्रंथ को, बल्कि कामसूत्र शब्द को ही बुरा माना गया है। जबकि हकीकत यह है कि किसी भी अन्य हिन्दू ग्रंथ की तरह ‘कामसूत्र’ भी महज एक ग्रंथ है जिसमें जनमानस के लिए कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गई हैं। खजुराहो में निर्मित काम-कला चित्रों को मन्दिर के रूप में उत्कीर्ण किया।
काम (सेक्स) है क्या बला–
इस लेख में काम (सेक्स) के बारे में काम की बातें जानना जरूरी है।
सुलझाएं : “ग्रंथो की गांठे
काम के लिये संस्कृत भाषा में बहुत कुछ लिख गया। कुछ अंश प्रस्तुत हैं :
शतायुर्वै पुरुषो विभज्य कालम्
अन्योन्य अनुबद्धं परस्परस्य
अनुपघातकं त्रिवर्गं सेवेत।
(कामसूत्र १.२.१)
बाल्ये विद्याग्रहणादीन् अर्थान्
(कामसूत्र १.२.२)
कामं च यौवने (१.२.३)
स्थाविरे धर्मं मोक्षं च (१.२.४)
संस्कृत के पुराणोक्त इन श्लोकों का सार अर्थ यही है कि
पुरुष को सौ वर्ष की आयु को तीन भागों में बाँटकर
∆~ बाल्यकाल (बचपन) में विद्या ,
∆~ युवावस्था में अर्थ (धन-सम्पदा) का अर्जन अर्थात कमाई या संग्रह करना चाहिये,
∆~ काम (सेक्स) की पूर्ति या तृप्ति यौवनकाल में एवं
∆~ बुढ़ापे में धर्म और मोक्ष का अर्जन करना चाहिये।
वेद का उपदेश है मनुर्भव यानी तुम मनुष्य बनो और दैवी संतति उत्पन्न करो। मानव को पूर्ण मानवता प्रदान करने वाले अर्थ एक समान नाम पुरुषार्थ से बताए जाते हैं। ये चार हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। मनुष्य मात्र के जीवन दर्शन का आधार मूलतः इस चतुर्वर्ग की प्राप्ति ही है।
योग के ये आठ अंग हैं:
१) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि
सम्भोग के योग को समझें ––
सम्भोग दो शब्दों से मिलकर बनता है।
सम+भोग । यह स्त्री और पुरुष दोनों का शारीरिक मिलन है।
सहवास के द्वारा दोनों को सम यानि बराबर सुख की प्राप्ति होती है इसलिए इसे शास्त्रों में सम्भोग कहा गया है। सहवास , सेक्स इसके अन्य नाम भी हैं।
क्या है सम्भोग —
सम्भोग को अंग्रेजी में (Sexual intercourse- या सेक्सुअल इन्टरकोर्स) सहवास , मैथुन या सेक्स की उस क्रिया को कहते हैं जिसमे नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता हैं। सम्पूर्ण जीव-जगत इसके बिना अपूर्ण है। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता हैं।
इन ग्रंथों में सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा आदि कहा गया है।
क्यों जरूरी है — काम (सेक्स)
सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं! जैसे श्वान यानि कुत्ता केवल कुंवार मास में ही सेक्स करता है, वहीं इंसानों में सम्भोग का कोई समय निश्चित नहीं है।
इंसानों में सम्भोग बिना वजह के भी हो सकता हैं। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या जज्बात दिखाने का भी एक रूप हैं।
सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जिसे अंग्रेजी में फ़ोरप्ले कहते हैं, के दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है।
कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों (स्त्री-पुरुषों) के बीच हो रहा हो।
कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं।
उपरोक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि तथा तनाव मुक्ति का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं।
कलयुग में सेक्स से शांति…
आजकल के किशोरों-किशोरियों में और नौजवानों या किसी भी आयु के लोगों बीच आकस्मिक संभोग उस यौन सम्बंध को कहते हैं जिसमें किसी स्नेह भाव या लम्बे समय के रिश्ते अर्थात विवाह की आस के बिना युवक-युवतियां तन-मन के सकून पाने के लिए काम क्रिया या सेक्स प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं।
आधुनिक काल में बहुप्रचलित इंटरनेट से प्राप्त मानव सम्बंधों का अपार ज्ञान, विभिन्न डेटिंग ऐप, बाज़ार में उपलब्ध गर्भ निरोधक devices हर आयु के लोगों को, विशेष रूप से युवकों और युवतियों को इस दिशा में अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
सेक्स का टैक्स…
शुरू में तो लड़के-लड़कियां शारिरिक सुख सहज-सरल समझते हैं, किंतु बाद के परिणाम पटाखा फोड़ने वाले होते हैं। इसका का दुष्प्रभाव परिवार, समाज और देश को झेलना पड़ता है।
¶= समाज में अनावश्यक अनैतिक गर्भ धारण के मामलों और नाजयज़ बच्चों के जन्म में वृद्धि हो सकती है।
¶¶= सामाजिक अराजकता, मानसिक सन्ताप और मनोवैज्ञानिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
अगर सही तरीके सेक्स में समस्या होने पर एक से 2 महीने आयुर्वेदिक अवलेह एवं कैप्सूल का सेवन करते रहें। यह पूर्णतः हानिरहित ओषधि है।
* ऐसा ही एक योग है,
बी फेराल गोल्ड माल्ट
* बी फेराल गोल्ड कैप्सूल
* ये दोनों आयुर्वेद की असरदार जड़ीबूटियों से निर्मित है। इसका नियमित उपयोग करने से सेक्स की इच्छा दिनोदिन बढ़ती जाती है। शरीर में चुस्ती फुर्ती रहती है। सेक्स के प्रति यह हमेशा शक्ति व ऊर्जा में बनाये रखता है।
 
समय से पहले वीर्य का स्खलित हो जाना शीघ्रपतन है। यह “समय” कोई निश्चित समय नहीं है पर जब “एंट्री” के साथ ही “एक्सिट” होने लगे या स्त्री-पुरुष अभी चरम पर न हो और स्खलन हो जाए तो यह शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) है। ऐसे में असंतुष्टि, ग्लानी, हीन-भावना, नकारात्मक विचारो का आना एवं अपने साथी के साथ संबंधों में तनाव आना मुमकिन है।
 
यहाँ यह समझ लेना जरूरी है कि जरूरी नहीं है कि हर वह व्यक्ति जिसका वीर्यस्खलन शीघ्र होता है शीघ्रपतन का शिकार है। हो सकता है व्यक्तिविशेष किसी शारीरिक विषमता का शिकार हो और यह समस्या स्थाई हो पर इस हेतु अच्छे विशेषग्य से परामर्श आवश्यक है।
इंटरकोर्स शुरू होने से 60सैकंड के भीतर ही अगर किसी पुरूष का वीर्य-स्खलन हो जाता है तो इसे शीघ्र-पतन (premature ejaculation) कहा जायेगा। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ सैक्सुयल मैडीकल के विशेषज्ञों ने पहली बार इस शीघ्र-पतन की पारिभाषित किया है….रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विश्व भर में 30 फीसदी पुरूष इस यौन-व्याधि (Sexual disorder) से परेशान हैं।
 
शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। सेक्‍स के दौरान कुछ देर तक लंबी सांस जरूर लें। यह प्रक्रिया शरीर को अतिरिक्‍त ऊर्जा प्रदान करती है। आपको मालूम होना चाहिए कि एक बार के सेक्स में करीब 400 से 500 कैलोरी तक ऊर्जा की खपत होती है। इसलिए अगर संभव हो सके तो बीच-बीच में त्‍वरित ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थ जैसे ग्लूकोज, जूस, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपसी बातचीत भी आपको स्थायित्व दे सकता है। ध्‍यान रखें, संभोग के दौरान इशारे में बात न करके सहज रूप से बात करें।
 
डर, असुरक्षा, छुपकर सेक्स, शारीरिक व मानसिक परेशानी भी इस समस्या का एक कारण हो सकती है। इसलिए इससे बचने का प्रयत्‍न करें। इसके अलावे कंडोम का इस्तेमाल भी इस समस्या के निजात के लिए सहायक हो सकता है
{{आधार}}
== इन्हें भी देखें ==
* [[वीर्य स्खलन]]