[[चित्र:Banda Bahadur War Memorial.jpg|thumb|300px|[[अजीतगढ़|मोहाली]] में '' सिंह बहादुर''' का स्मारक]]
बाबा बन्दा सिंह बैरागी का जन्म [[कश्मीर]] स्थित पुंछ जिले के तहसील राजौरी क्षेत्र में विक्रम संवत् 1727, कार्तिक शुक्ल 13 (1670 ई.) को हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मणदेव उनका जन्म एक हिन्दू ब्राह्मणराजपुत परिवार में हुआ था और उनका गोत्र भारद्वाज था। विद्या नहीं थी, लेकिन छोटी सी उम्र में पहाड़ी जवानों की भांति [[कुश्ती]] और [[शिकार]] आदि का बहुत शौक़ था। वह अभी 15 वर्ष की उम्र के ही थे कि एक गर्भवती हिरणी के उनके हाथों हुए शिकार ने उने अत्यंत शोक में डाल दिया। इस घटना का उनके मन में गहरा प्रभाव पड़ा। वह अपना घर-बार छोड़कर [[वैराग्य|बैरागी]] बन गये। वह जानकी दास नाम बैरागी के एक साधु के शिष्य हो गए और उनका नाम माधोदास बैरागी पड़ा। तदन्तर उन्होंने एक अन्य बाबा रामदास बैरागी का शिष्यत्व ग्रहण किया और कुछ समय तक पंचवटी ([[नासिक]]) में रहे। वहाँ एक औघड़नाथ से योग की शिक्षा प्राप्त कर वह पूर्व की ओर दक्षिण के [[नान्देड]] क्षेत्र को चले गए जहाँ [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] के तट पर उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की।