"राणा लाखा": अवतरणों में अंतर

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इनके शासनकाल में [[उदयपुर]] शहर केे बीचों बीच पीछू नामक एक बंजारे ने [[पिछोला झील|पिछौला झील]] का निर्माण कराया , यह झील लाखा के शासनकाल में मेवाड़ के लिए पेयजल का एकमात्र साधन रही।
 
राणा लाखा के जीवन का सबसे बड़ा रोचक तथ्य यह था कि इन्होंने अपने जीवन के अन्तिम दिनों में मारवाड़ के राजा राव की [[रानी हंसाबाई|राजकुमारी हंसाबाई]] सेे विवाह किया, लेकिन यह विवाह इस शर्त पर हुआ कि लाखा का ज्येष्ठ पुत्र [[कुंवर चूड़ा|कुंवर चूड़ा]] मेेेवाड़ राज्य का उत्तराधिकारी नहीं बनेगा, बल्कि लाखा व रानी हंंसाबाई से उत्पन्न पुत्र ही मेवाड़ का उत्तराधिकारी होगा , जोकि आगे चलकर [[राणा मोकल|महाराणा मोकल]] हुए। चुंडा ने अपने लिए आया राजकुमारी का रिस्ता ठुकराकर अपने पिता से मारवाड़ की राजकुमारी हंसा से इस शर्त पर विवाह करा दिया की चुंडा कभी मेंवाड़ के सिंहाशन पर अपना अधिकारी नहीं जमायेगा चुंडा ने शपत ली कि वह और उसकी आने वाली पीड़ी कभी मेंवाड़ पर अपना अधिकारी नहीं जमायेगी बल्कि मेंवाड़ की रक्षा एवं मेंवाड़ के सिंहाशन पर जो विराजेगा उसकी रक्षा के लिए वचनवद्व रहेगे। और इसी प्रकार चुंडा से आने वाली पीड़ी चुंडावत कहलायी जोकि मेंवाड़ की रक्षा के लिए अंग्रिम पंती में युद्व के मैदान में रहती।
 
राणा लाखा एक विद्वान शासक होनेे के साथ-साथ एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ भी थे इनके दरबार में भी दो प्रसिद्ध संगीतज्ञ मेेेवाड़ दरबार की शोभा बढ़ाते थे जिन्हें '''धनेेेश्वर''' '''भट्ट''' व '''झोटिंगभट्ट''' के नाम से जाने जाते थे।
[[श्रेणी:मेवाड़ के शासक]]