'''दुश्शलादुःशला''' [[दुर्योधन]] की बहन थी और १०० कौरवों की अकेली बहन। इनके पिता धृतराष्ट्र व माता गांधारी थी।<ref>{{Cite web|date=2017-10-24|title=Unveiling the secret of Duhsala, the only sister of 100 Kaurava Brothers|url=https://detechter.com/duhsala-sister-100-kauravas/|access-date=2020-08-26|website=Detechter|language=en-US}}</ref> दुुश्शला काजिसका विवाह [[सिन्धु]] एवंएवम [[सौविरा]] नरेश [[जयद्रथ]] से हुआ, था जिसका वध [[अर्जुन]] द्वारा [[कुरुक्षेत्र]] में महाभारत में किया गया। दुःशला के पुत्र का नाम [[सुरथ]] था। जब अर्जुन कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद [[युधिष्ठिर]] द्वारा आयोजित [[अश्वमेध यज्ञ]] के परिणाम स्वरुप दुश्शलाप्राप्त सेहोने आशीर्वादवाले प्राप्तकर करनेको हेतुलेने सिन्धु पहुचे तो दुश्शलादु:शला के पौत्र से उनका युद्ध हुआ अर्जुन ने सदा दुर्योधन की बहन को अपनी बहन माना अतः वे अपनी बहन के पौत्र और सुरथ के पुत्र को जीवन दान दे कर सिन्धु को छोड़ आगे बढ़ गए।▼
{{ज्ञानसन्दूक महाभारत के पात्र
|नाम=दुःशला
| color = #FFC569
| series = [[Mahabharata]]
| Image= File:245ImageLadyKaurava.jpg
| caption = Painting of Dushala, the only female Kaurava
| spouse = [[Jayadratha]]
| children = Suratha
| family = [[Gandhari (character)|Gandhari]] and [[Dhritarashtra]] (parents)<br>[[Duryodhana]], [[Dushasana]], [[Vikarna]] and 97 other brothers <br> [[Yuyutsu]] (half-brother)
| relatives = [[Yudhishthira]], [[Bhima]], [[Arjuna]], [[Nakula]] and [[Sahadeva]] (cousins)
}}
▲'''दुश्शला''' [[दुर्योधन]] की बहन थी और १०० कौरवों की अकेली बहन। इनके पिता धृतराष्ट्र व माता गांधारी थी।<ref>{{Cite web|date=2017-10-24|title=Unveiling the secret of Duhsala, the only sister of 100 Kaurava Brothers|url=https://detechter.com/duhsala-sister-100-kauravas/|access-date=2020-08-26|website=Detechter|language=en-US}}</ref> दुुश्शला का विवाह [[सिन्धु]] एवं [[सौविरा]] नरेश [[जयद्रथ]] से हुआ, जिसका वध [[अर्जुन]] द्वारा [[कुरुक्षेत्र]] में महाभारत में किया गया। दुःशला के पुत्र का नाम [[सुरथ]] था। जब अर्जुन कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद [[युधिष्ठिर]] द्वारा आयोजित [[अश्वमेध यज्ञ]] के परिणाम स्वरुप दुश्शला से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सिन्धु पहुचे तो दुश्शला के पौत्र से उनका युद्ध हुआ अर्जुन ने सदा दुर्योधन की बहन को अपनी बहन माना
और अपनी बहन के पौत्र और सुरथ के पुत्र को जीवन दान दे कर सिन्धु को छोड़ आगे बढ़ गए।