"अदरक": अवतरणों में अंतर

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अमृतम पत्रिका, ग्वालियर से साभार...
 
अदरक कब, कैसे, कितना लेना खाना फायदेमंद होता है...
 
आपका आयुर्वेद पर भरोसा है और उसे निरन्तर अपनाने का मन है, तो आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक भावप्रकाश निघण्टु, अष्टाङ्ग ह्रदय, द्र्वगुण विज्ञान यह किताबें घर में मंगाकर अध्ययन करें। आप फालतू के भ्रम से बचे रहेंगे।
 
अदरक को एक विशेष तरीके से सुखाने बाद इसे सौंठ बनाते है। अदरक को संस्कृत में आद्रक भी कहते हैं।
 
 
अदरक केवल चाय में डालकर लेना ही हितकारी है अन्यथा आँतों में सूजन पैदा करता है।
 
अदरक को हमेशा एक मिट्टी के पात्र में रेत या बजरी भरकर उसके अंदर रखें, तो इसके गुण बने रहते हैं।
 
अदरक का उपयोग गर्मी के दिनों में करना अहितकर रहता है। यह सर्दी के दिनों ही उपयोगी है। अन्यथा यूरिक एसिड बढ़ाने लगता है।
आयुर्वेद में हर ओषधि,मसाले, जड़ीबूटियों के अनुपान की मात्रा निश्चित है। अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ में उल्लेख है कि कोई कच्ची ओषधि 3 से 5 ग्राम से अधिक न लेवें।
 
यह भी ध्यान रखें कि कब क्या और कैसे लेना है।
 
अदरक, लहसुन बहुत गर्म होता है। ज्यादा लेने से यह कफ को सुखाता है। कफ सूखने से श्वांस नली सिकुड़ने लगती है, जिससे फेफड़ों में संक्रमण होकर, श्वांस, दमा, अस्थमा आदि विकार उत्पन्न होंते है। अतः लहसुन अदरक दोनों एक साथ भूलकर भी न लेवें।
 
भावप्रकाश निघण्टु ग्रन्थ के अनुसार इसे रसोन भी कहते हैं। आयुर्वेद की बहुत सी कम्पनियां रसों वटी लहसुन से ही बनाती हैं।
 
 
लहसुन खाने का तरीका…
 
लहसुन की एक छोटी पोथी केवल रात को भोजन से एक घण्टे पहले सादे जल से लेना हितकारी है। यदि बीपी हाइ की शिकायत हो, क्रोधी स्वभाव हो, धूप में काम करते हों, दूध एवं गुड़ खाने वालों को तो लहसुन कभी नहीं लेना चाहिए। लहसुन को केवल दाल-सब्जी में डालकर लेना उचित है।
 
 
 
 
नीबू के हानि-लाभ…
 
नीबू में सर्वश्रेष्ठ कागजी नीबू होता है। कागजी निम्बू का छिलका कागज की तरह पतला होता है। सदैव यही सबसे ज्यादा हितकारी होता है। कागजी नीबू वातनाशक, ग्रंथिशोथ यानी थायराइड में भी उपयोगी है।
 
 
एक मीठा नीबू भी आता है, जो कफ सम्बन्धी रोगों को मिटाता है।
 
एक नीबू का रस पूरे दिन में लेना पर्याप्त है नहीं, तो वीर्य पतला होना लगता है। नीबू रस कभी भी सुबह खाली पेट न लेवें। इससे एसिडिटी बढ़ती है। नीबू रस सदैव खाने के एक घण्टे बाद शक्कर, जीरा, सौंफ युक्त शिकंजी बनाकर पियें, तो अनेक उदर रोग शांत हो जाते है तथा पाचनतंत्र मजबूत होता है। यकृत क्रियाशील रहता है एवं वीर्य की शुद्धि होती है।
 
 
 
[[चित्र:Gingembre.jpg|thumb|right|260px|अदरक]]
[[चित्र:Ginger powder.JPG|thumb|right|260px|अदरक का चूर्ण]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अदरक" से प्राप्त