"तिथियाँ": अवतरणों में अंतर

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अहोरात्र का तिथि से कुछ लेना देना नहीं है क्योंकि अहोरात्र/ सूर्योदय से सूर्योदय, यह वह काल, वह समय है जो पृथ्वी के अपने केंद्र पर घूमते हुए पुनः पुनः एकदम सूर्य के सामने आ जाने में लगती है जब कि तिथि का निर्माण पृथ्वी के घूमने या चलने से नहीं बल्कि चंद्रमा के पृथिवी को केंद्र मान उस के चारों और केवल12 डिग्री घूमने में लगने वाले समय से है।
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अशोक कुमार सांगवान।
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[[हिन्दू काल गणना]] के अनुसार मास में ३० '''तिथियाँ''' होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटीं होती हैं। चन्द्र मास एक अमावस्या के अन्त से शुरु होकर दूसरे अमा वस्या के अन्त तक रहता है। अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र का भौगांश बराबर होता है। इन दोनों ग्रहों के भोंगाश में अन्तर का बढना ही तिथि को जन्म देता है। तिथि की गणना निम्न प्रकार से की जाती है।