"मैहर": अवतरणों में अंतर

मंदिर परिसर के महंत ने कहा है
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[[चित्र:Sharada Temple Maihar.JPG|thumb|देवी माँ शारदा मंदिर]]
[[चित्र:View from Sharda temple Maihar2.JPG|thumb|शारदा मन्दिर से आल्हा-उदल जलाशय]]
जैसा की आप लोगों को मालूम है
माता मैहर देवी जी की सबसे पहले पूजा श्री आल्हा जी करते हैं और माता के दर्शन करने के बाद जो इंसान आल्हा जी के अखाड़ा परिसर का दर्शन नहीं करेगा उसका दर्शन पूर्ण रूप से मान्य नहीं होगा
जो व्यक्ति श्री आल्हा जी के अखाड़ा परिसर का सात बार परिक्रमा करेगा उसकी मुराद पूरी हो जाएगी ऐसा मान्यता हैं
जो व्यक्ति श्री आल्हा जी को लंगोट समर्पित करेगा वो निरोग रहेगा उसका सब दुख दर्द आल्हा जी महाराज दूर करेंगे
जो व्यक्ति श्री आल्हा जी के अखाड़ा परिषद का मिट्टी घरों में रखेगा उसके घर में कोई भी निगेटिव एनर्जी ( भूत प्रेत ) नहीं आएगी
और वो माता मैहर देवी की कृपा से दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करेगा
'''मैहर''' [[मध्य प्रदेश]] का प्रस्तावित जिला है। यह एक प्रसिद्ध [[हिन्दू]] [[तीर्थ]] स्थल है। यह सतना जिले में है|इन्हीं के नाम से एक विद्यालय खुला है जिसका नाम '''माँ शारदा धनराजी देवी इंटर कॉलेज''' है जो कि उत्तर प्रदेश के भदोही के दवनपुर में स्थित है । मैहर में शारदा माँ का प्रसिद्ध मन्दिर है जो नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के मध्य 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 [[शक्ति पीठ]]ों में से एक है। यह पीठ सतयुग के प्रमुख अवतार नृसिंह भगवान के नाम पर 'नरसिंह पीठ' के नाम से भी विख्यात है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर [[परमाल रासो|आल्हखण्ड]] के नायक [[आल्हा]] व [[ऊदल]] दोनों भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा आज भी विद्यमान है।
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मैहर" से प्राप्त