"ईश्वर": अवतरणों में अंतर
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कुरान, सूरह बकरा, दिनियात, इस्लाम का परीचय टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
इस्लाम टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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इस्लाम का मूल मन्त्र "ला इलाह इल्ल, अल्लाह, मुहम्मद उर रसूल अल्लाह" है, अर्थात अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही है और मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनके आखरी रसूल (पैगम्बर) हैं।
इस्लाम धर्म मे ईश्वर की कल्पना एक सर्वशक्तिमान,सर्व्यापी
की है,ईश्वर एक है और किसी का मोहताज नही है, न कोई उसका बेटा है और न वो किसी का पिता है, कोई उसके बराबर भी नही है, वो तमाम ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता है ओर सारी सृष्टि उसके नियत्रण में है। जिसने मनुष्य जैसी सर्वोत्तम कृति का सृजन किया और उसे धरती पर आदम और हव्वा के रूप में पहले नर नारी को भेजा और फिर उनकी संतानों से सारी आबादी बनाई। अल्लाह ने धरती पर मनुष्यों को भेजने का उधेश्य भी कुरान में लिखा है कि "हमने इंसानो और जिनो(अदृश्य जीव) अपनी इबादत(पूजा अर्चना) के लिए पैदा किया है।
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