"मनु": अवतरणों में अंतर

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[[Image:The fish avatara of Vishnu saves Manu during the great deluge.jpg|right|thumb|300px|[[महाप्रलय]] के समय [[वैवस्वत मनु]] एवं [[सप्तर्षि|सात ऋषियों]] की रक्षा करती [[मत्स्य अवतार|मत्स्य]]]]
[[सनातन धर्म]] के अनुसार '''मनु''' संसार के प्रथम पुरुष थे। मनु का जन्म आज ईश्वर सन् 2021 से 1972949120लगभग 19700 साल पूर्व हुआ था प्रथम मनु का नाम [[स्वयंभुव मनु]] था, जिनके संग प्रथम स्त्री थी [[शतरूपा]]। ये 'स्वयं भू' (अर्थात स्वयं उत्पन्न, प्रजापति ब्रम्हा से संकल्पशक्ति से; बिना माता-पिता के उत्पन्न) होने के कारण ही स्वयंभू कहलाये। इन्हीं प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री की सन्तानों से संसार के समस्त जनों की उत्पत्ति हुई। मनु की सन्तान होने के कारण वे [[होमो सेपियन्स|मानव]] या [[होमो सेपियन्स|मनुष्य]] कहलाए। स्वायंभुव मनु को आदि भी कहा जाता है। आदि का अर्थ होता है प्रारंभ।
 
सभी भाषाओं के मनुष्य-वाची शब्द मैन, मनुज, मानव, आदम, आदमी आदि सभी मनु शब्द से निकलाप्रभावित है ।है। यह समस्त मानव जाति के प्रथम संदेशवाहक हैं। इन्हें प्रथम मानने के कई कारण हैं। सभी मनु की संतानें हैं इसीलिए मनुष्य को मानव (=मनु से उत्पन्न) भी कहा जाता है। ब्रह्मा के एक दिन को कल्प कहते हैं। एक कल्प में 14 मनु हो जाते हैं। एक मनु के काल को [[मन्वन्तर]] कहते हैं। वर्तमान में [[वैवस्वत मनु]] (7वें मनु) हैं।
 
== मनुओं की संख्या ==
हिंदू धर्म में स्वायंभुव मनु के ही कुल में आगे चलकर स्वायंभुव सहित कुल मिलाकर क्रमश: १४ मनु हुए। [[महाभारत]] में ८ मनुओं का उल्लेख मिलता है व श्वेतवराह कल्प में १४ मनुओं का उल्लेख है। हिन्दू धर्म के बुद्ध अवतार के पूर्व और कृष्ण पूर्ण अवतार के पश्चात 22 वें अंश अवतार ऋषभदेव के अनुयायियों द्वारा प्रपादित शाखा पंथ द्वारा विरचितजैन ग्रन्थों में १४ [[कुलकर|कुलकरों]] का वर्णन मिलता है।<ref name="रूपरेखा">[http://hindi.webdunia.com/religion/sanatandharma/history/0909/04/1090904045_1.htm वैवस्वत मनु के इतिहास की रूपरेखा ] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100106102045/http://hindi.webdunia.com/religion/sanatandharma/history/0909/04/1090904045_1.htm |date=6 जनवरी 2010 }}। वेब दुनिया</ref>
=== नाम ===
चौदह मनुओं के नाम इस प्रकार से हैं:
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# इन्द्र सावर्णि मनु या भौत मनु
 
वर्तमान काल तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत 2078 प्रारम्भ होने से 1972949119५६३० वर्ष पूर्व हुआ था।<ref name="रूपरेखा"/><ref>स्कंदगायत्री पुराणशक्ति सेपीठ पुरीके श्रीश्रीराम शंकराचार्यशर्मा निश्चलानन्दआचार्य सरस्वतीके अनुसार</ref>
 
== सन्तानें ==
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== मनुस्मृति ==
{{मुख्य |मनुस्मृति}}
[[महाभारत]] में ८ मनुओं का उल्लेख है। [[शतपथ ब्राह्मण]] में मनु को श्रद्धादेव कहकर संबोधित किया गया है। [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] में इन्हीं वैवस्वत मनु और श्रद्धा से मानवीय सृष्टि का प्रारंभ माना गया है। श्वेत वराह कल्प में १४ मनुओं का उल्लेख है। महाराज मनु ने बहुत दिनों तक इस [[पृथ्वी का हिन्दू वर्णन|सप्तद्वीपवती पृथ्वी]] पर राज्य किया। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी। इन्हीं ने [[मनुस्मृति]] नामक ग्रन्थ की रचना की थी जो आज मूल रूप में उपलब्ध नहीं है। उसके अर्थ का अनर्थ ही होता रहा है। भगवद्उस गीताकाल में पूर्ववर्ण जन्मका केअर्थ संचितवरण कर्महोता प्रभावथा(वरण सेकरना विकसितका सात्त्विक,अर्थ राजसिक,है तामसिकधारण तीनकरना गुणोंस्वीकार केकरना। योगअर्थात सेजिस उत्पन्नव्यक्ति गुणने केजो आधारकार्य परकरना वर्तमानस्वीकार औरया अगलेधारण जन्मकिया मेंवह वर्ण विशेष में जन्म होते है।उसका वर्ण संकर कुल घाती होते हैं।कहलाया)
और आज जाति।
 
प्रजा का पालन करते हुए जब महाराज मनु को मोक्ष की अभिलाषा हुई तो वे संपूर्ण राजपाट अपने बड़े पुत्र उत्तानपाद को सौंपकर एकान्त में अपनी पत्नी शतरूपा के साथ [[नैमिषारण्य]] तीर्थ चले गए लेकिन उत्तानपाद की अपेक्षा उनके दूसरे पुत्र राजा प्रियव्रत की प्रसिद्धि ही अधिक रही। स्वायम्भु मनु के काल के ऋषि [[मरीचि]], [[अत्रि]], [[अंगिरा|अंगिरस]], [[पुलह]], [[कृतु]], [[पुलस्त्य]] और [[वशिष्ठ]] हुए। राजा मनु सहित उक्त ऋषियों ने ही मानव को सभ्य, सुविधा संपन्न, श्रमसाध्य और सुसंस्कृत बनाने का कार्य किया।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मनु" से प्राप्त