"मनु": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→नाम: काल गणना स्कंद पुराण अनुसार जोड़ी। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 1:
{{others}}
[[Image:The fish avatara of Vishnu saves Manu during the great deluge.jpg|right|thumb|300px|[[महाप्रलय]] के समय [[वैवस्वत मनु]] एवं [[सप्तर्षि|सात ऋषियों]] की रक्षा करती [[मत्स्य अवतार|मत्स्य]]]]
[[सनातन धर्म]] के अनुसार '''मनु''' संसार के प्रथम पुरुष थे। मनु का जन्म आज
सभी भाषाओं के मनुष्य-वाची शब्द मैन, मनुज, मानव, आदम, आदमी आदि सभी मनु शब्द से
== मनुओं की संख्या ==
हिंदू धर्म में स्वायंभुव मनु के ही कुल में आगे चलकर स्वायंभुव सहित कुल मिलाकर क्रमश: १४ मनु हुए। [[महाभारत]] में ८ मनुओं का उल्लेख मिलता है व श्वेतवराह कल्प में १४ मनुओं का उल्लेख है।
=== नाम ===
चौदह मनुओं के नाम इस प्रकार से हैं:
पंक्ति 24:
# इन्द्र सावर्णि मनु या भौत मनु
वर्तमान काल तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत
== सन्तानें ==
पंक्ति 41:
== मनुस्मृति ==
{{मुख्य |मनुस्मृति}}
[[महाभारत]] में ८ मनुओं का उल्लेख है। [[शतपथ ब्राह्मण]] में मनु को श्रद्धादेव कहकर संबोधित किया गया है। [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] में इन्हीं वैवस्वत मनु और श्रद्धा से मानवीय सृष्टि का प्रारंभ माना गया है। श्वेत वराह कल्प में १४ मनुओं का उल्लेख है। महाराज मनु ने बहुत दिनों तक इस [[पृथ्वी का हिन्दू वर्णन|सप्तद्वीपवती पृथ्वी]] पर राज्य किया। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी। इन्हीं ने [[मनुस्मृति]] नामक ग्रन्थ की रचना की थी जो आज मूल रूप में उपलब्ध नहीं है। उसके अर्थ का अनर्थ ही होता रहा है।
और आज जाति।
प्रजा का पालन करते हुए जब महाराज मनु को मोक्ष की अभिलाषा हुई तो वे संपूर्ण राजपाट अपने बड़े पुत्र उत्तानपाद को सौंपकर एकान्त में अपनी पत्नी शतरूपा के साथ [[नैमिषारण्य]] तीर्थ चले गए लेकिन उत्तानपाद की अपेक्षा उनके दूसरे पुत्र राजा प्रियव्रत की प्रसिद्धि ही अधिक रही। स्वायम्भु मनु के काल के ऋषि [[मरीचि]], [[अत्रि]], [[अंगिरा|अंगिरस]], [[पुलह]], [[कृतु]], [[पुलस्त्य]] और [[वशिष्ठ]] हुए। राजा मनु सहित उक्त ऋषियों ने ही मानव को सभ्य, सुविधा संपन्न, श्रमसाध्य और सुसंस्कृत बनाने का कार्य किया।
|