'''टोंसटोस नदी''' उत्तरकाशी के बंदरपूंछ पर्वत के उत्तरी डाल पर स्वर्गारोहिनी ग्लेशियर से निकलने वाली सूपिन नदी तथा हिमाचल के डोगरा क्वार से निकलने वाली रूपी नदी के मिलने से बनती है जो कुछ दूरी तक तमसा के नाम से जानी जाती है, उत्तराखंड और हिमाचल के बीच 148 किलोमीटर तक का बॉर्डर बहते हुए बॉर्डर बनाने वाली टोंसटोस नदी कालसी में यमुना नदी में मिल जाती है धातव्य है 257 ई.पूर्व का मौर्य सम्राट अशोक का शिलालेख इसी कालसी में स्थित है जोकि यमुना और अमलावा नदियों के संगम पर स्थित है और तथा [[कालसी]] में [[यमुना नदी]] में मिलती है। [[कर्मनाशा नदी]] तथा [[रूपिन नदी]] मिल करके टोंसटोस नदी बनती है। त्यूणी में इस नदी का संगम पब्बर नदी से होता है जो कि हिमाचल के रोहड़ू से होते हुए त्यूणी में आकर टोंसटोस में मिल जाती है [[मोरी]] से [[त्यूनी]] तक टोंसटोस नदी में राफ्टिंग होती है। टोंसटोस नदी के किनारे ऐसे कई गांव हैं जहां अभी भी उत्तराखंड की लोक संस्कृति अपने मूल रूप में बची हुई है। गोरछा एक ऐसा ही गांव है।<ref>{{Cite web |url=http://www.uttara.in/hindi/tourism_board/for_tourist/sports.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=24 जून 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20181224023732/http://www.uttara.in/hindi/tourism_board/for_tourist/sports.html |archive-date=24 दिसंबर 2018 |url-status=dead }}</ref> टोंसटोस एवं यमुना नदियों के बीच का संपूर्ण क्षेत्र महाभारत की किंवदन्तियों से जुड़ा है।<ref>{{Cite web |url=http://younguttaranchal.com/community/index.php?topic=1865.0 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=24 जून 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20080430071703/http://younguttaranchal.com/community/index.php?topic=1865.0 |archive-date=30 अप्रैल 2008 |url-status=dead }}</ref>