"वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर": अवतरणों में अंतर

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| state = [[झारखंड|झारखण्ड]]
| district = [[देवघर]]
| location =पूर्वी भारत
| elevation_m =
| primary_deity = बाबा वैद्यनाथ ([[भगवान शिव]])
| important_festivals= [[महाशिवरात्रि]]
| architecture =
| number_of_temples = 22
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| temple_board =बाबा बैद्यनाथ मन्दिर प्रबन्ध परिषद
| website = [http://www.babadham.org/ babadham.org]
}}
|deity=बाबा [[वैद्यनाथ]] और मां [[ सती | जया दुर्गा]]}}
 
'''वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर''' ([[अंग्रेजी]]:Baidyanath Temple) [भारतवर्ष]] के राज्य [[झारखंड]] में अतिप्रसिद्ध [[देवघर]] नामक स्‍थान पर अवस्थित है।<ref>{{Cite web |url=http://www.shivshaktidham.in/baijnath-jyotirlinga |title=संग्रहीत प्रति |access-date=7 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150217161204/http://www.shivshaktidham.in/baijnath-jyotirlinga |archive-date=17 फ़रवरी 2015 |url-status=dead }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://www.templesofindia.net/content/baba-baidyanath-temple-deoghar-jharkhand |title=संग्रहीत प्रति |access-date=7 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150416162326/http://www.templesofindia.net/content/baba-baidyanath-temple-deoghar-jharkhand |archive-date=16 अप्रैल 2015 |url-status=dead }}</ref> पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को "देवघर" अर्थात् देवताओं का घर कहते हैं। बैद्यनाथ स्थित होने के कारण इस स्‍थान को देवघर नाम मिला है। यह एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं। बैजनाथ गड़रियाअहिर ने सर्वप्रथम
{{redirect|त्रिनेत्र}}
{{स्रोत कम|date= 2017}}
{{Infobox deity
| type = Hindu
| name = वैद्यनाथ
| image = Shiva statue, Mauritius.jpg
| other_names = [[शिव]], भोलेनाथ, रुद्रशिव, कैलाशी , अर्धनारेश्नर
| Tamil_script =
| affiliation = [[हिन्दू देवी देवताओं की सूची|हिन्दू देवता]], [[ज्योतिर्लिंग]]
| god_of = संरक्षण, चिकित्सा और वैद्यों के देवता, जगतपिता, ज्योतिर्लिंग |-
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर हीं माता सती का हृदय भी गिरा था जो की माता [[सती|जया दुर्गा]] शक्ति पीठ कहलाता है| abode = [[कैलास पर्वत|कैलाश पर्वत]], बैजनाथ धाम
| mantra = ॐ नमः शिवाय
| weapon = [[त्रिशूल]], पिनाक [[धनुष]],[[डमरु]], परशु
| consort = [[सती|जया दुर्गा]]
| mount = [[नन्दी|नंदी]]
| children = [[कार्तिकेय]] ,[[गणेश]]
|texts=शिव पुराण और दुर्गा पुराण के अनुसार देवी सती का हृदय वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के शिवलिंग पर गिरा था और माता सती और शिव जी की यहां संयुक्त रूप से शिवलिंग पर पूजा की जाती है।|festivals=[[महाशिवरात्रि]], [[श्रावणी मेला]]}}
 
'''शंकर या''' '''महादेव''' [[ अरण्य संस्कृति| आरण्य संस्कृति]] जो आगे चल कर सनातन [https://www.jyotirlinga-list.xyz शिव] धर्म (शैव धर्म) नाम से जाने जाती है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। यें सृष्टि के संहारक और जगतपिता हैं।
वैष्णव। नाम: यथा। शंभू।।
इन्हें सबसे बड़ा वैष्णव भी कहा जाता है। क्योंकि यह परम वैष्णव है। वैष्णव वह होते हैं। जो भगवान विष्णु के परम भक्त होते हैं। भगवान शिव को भगवान विष्णु का परम भक्त भी कहा जाता है। जिसका उल्लेख सत्व गुण के 6 पुराण और ज्यादातर सभी शास्त्रों में किया गया है वेद, उपवेद, उपनिषद, इतिहास, पुराण, उपपुराण, संहिता तथा सभी शास्त्रों में मिलता है। जैसे विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत, महापुराण, रामायण, महाभारत, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि। इन्हें भोलेनाथ, [[शिव|शंकर]], महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।<ref>{{उद्धृत अंतर्जाल|title=तस्वीरों के जरिए जानें, भगवान शिव के ये आभूषण देते हैं किन बातों का संदेश|url=https://www.jagran.com/photogallery/religion-suvichar-significance-of-lord-shiva-ornaments-25392.html|date=13-11-2017|author=संजय पोखरियाल|Publisher=दैनिक जागरण}}</ref> [[शैव|हिन्दू शिव घर्म]] शिव-धर्म के प्रमुख [[देवता]]ओं में से हैं। [[वेद]] में इनका नाम [[रुद्र]] है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी ([[शक्ति]]) का नाम [[पार्वती]] है। इनके पुत्र [[कार्तिकेय]] और [[गणेश]] हैं, तथा पुत्री [[अशोक सुंदरी]] हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में [[योगी]] के रूप में देखे जाते हैं और उनकी [[पूजा]] [[शिवलिंग]] तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में [[नाग]] देवता वासुकी विराजित हैं और हाथों में डमरू और [[त्रिशूल]] लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है।<ref>{{उद्धृत अंतर्जाल|url=http://timesspeak.com/भगवान-शिव-के-इन-गुणों-को-अप/|title=भगवान शिव के इन गुणों को अपनाएंगे तो आपका जीवन सफल हो जाएगा।|date=13-02-2018|author=हिमान्शु जी शर्मा}}</ref> <ref>{{cite book|author=K. Sivaraman|title=Śaivism in Philosophical Perspective: A Study of the Formative Concepts, Problems, and Methods of Śaiva Siddhānta|url=https://books.google.com/books?id=I1blW4-yY20C&pg=PA131|year=1973|publisher=Motilal Banarsidass|isbn=978-81-208-1771-5|page=131|access-date=21 मार्च 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20170407153443/https://books.google.com/books?id=I1blW4-yY20C&pg=PA131|archive-date=7 अप्रैल 2017|url-status=live}}</ref><ref name="Flood 1996, p. 17">{{harvnb|Flood|1996|pp=17, 153}}</ref><ref name="Zimmer 1972 p. 124">Zimmer (1972) pp. 124-126</ref>
'''वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर''' ([[अंग्रेजी]]:Baidyanath Temple) [भारतवर्ष]] के राज्य [[झारखंड]] में अतिप्रसिद्ध [[देवघर]] नामक स्‍थान पर अवस्थित है।<ref>{{Cite web |url=http://www.shivshaktidham.in/baijnath-jyotirlinga |title=संग्रहीत प्रति |access-date=7 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150217161204/http://www.shivshaktidham.in/baijnath-jyotirlinga |archive-date=17 फ़रवरी 2015 |url-status=dead }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://www.templesofindia.net/content/baba-baidyanath-temple-deoghar-jharkhand |title=संग्रहीत प्रति |access-date=7 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150416162326/http://www.templesofindia.net/content/baba-baidyanath-temple-deoghar-jharkhand |archive-date=16 अप्रैल 2015 |url-status=dead }}</ref> पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को "देवघर" अर्थात् देवताओं का घर कहते हैं। बैद्यनाथ स्थित होने के कारण इस स्‍थान को देवघर नाम मिला है। यह एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं। बैजनाथ गड़रिया ने सर्वप्रथम
जी की पूजा की थी <Ref>{{https://www.youtube.com/dashboard?o=U}}</Ref>।