"आंग्ल-भारतीय समुदाय": अवतरणों में अंतर
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[[File:Mother and daughter in India 1920.jpg|thumb|आंग्ल-भारतीय समुदाय में माँ-बेटी]]
'''आंग्ल-भारतीय''' या '''ऐंग्लो इंडियन'''(''ऍङ्ग्लो-इण्डियन'') विशेष शब्द है जो [[जाति]] और [[भाषा]] के संबंध में प्रयुक्त होता है। जाति के संबंध में यह उन अंग्रेजों की ओर संकेत करता है जो भारत में बस गए हैं या व्यवसाय अथवा पदाधिकार से यहाँ प्रवास करते हैं। इनकी संख्या तो आज भारत में विशेष नहीं है और मात्र प्रवासी होने के कारण उनको देश के राजनीतिक अधिकार भी प्राप्त नहीं, परंतु एक दूसरा वर्ग उनसे संबंधित इस देश का है और उसे देश के नागरिकों के सारे हक भी हासिल हैं। यह वर्ग भारत के अंग्रेज प्रवासियों और भारतीय स्त्रियों के संपर्क से उत्पन्न हुआ है जो ऐंग्लो इंडियन कहलाता है। इनकी संख्या काफी है और लोकसभा में इनके विशेष प्रतिनिधि के लिए संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित हैं। इस समुदाय के समझदार व्यक्ति अपने को सर्वथा भारतीय और भारत के सुख-दु:ख में शरीक मानते हैं, परंतु अधिकतर ये स्थानीय जनता से घना संपर्क नहीं बना पाते और इंग्लैंड की सहायता की अपेक्षा करते हैं। इनका अंग्रेजों से रक्तसंबंध होना, अंग्रेजी का इनकी जन्मजात और साधारण बोलचाल की भाषा होना और उनका धर्म से ईसाई होना भी उन्हें अपना विदेशी रूप बनाए रखने में सहायक होते हैं। उनकी समूची संस्कृति अंग्रेजी विचारधारा और रहन-सहन से प्रभावित तथा अनुप्रमाणित है। तथापि अब वे धीरे-धीरे देश की नित्य बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होते जा रहे हैं।
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