"रक्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो हल्का पीला साफ चिपचिपा तथा पारदर्शी तरल पदार्थ होता है यह रुधिर का लगभग 50 से 60% भाग होता है रुधिर प्लाज्मा में 90% जल तथा 10% अकार्बनिक पदार्थ होता है जो सोडियम के क्लोराइड बाइकार्बोनेट कैल्शियम मैग्नीशियम पोटेशियम के फास्फेट बाइकार्बोनेट सल्फेट तथा क्लोराइड आदि के आयन सूक्ष्म मात्रा में विद्यमान होते हैं टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो Prem sagar maurya (Talk) के संपादनों को हटाकर रोहित साव27 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=}}
[[चित्र:Blutkreislauf.png|thumb | right| [[होमो सेपियन्स|मानव]] शरीर में लहू का संचरण<br /> [[लाल]] - शुद्ध लहू <br /> [[नीला]] - अशु्द्ध लहू]]
'''लहू''' या '''रुधिर''' या '''खून''' एक शारीरिक [[तरल]] ([[द्रव]]) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित [[ऊतक]] है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है।
मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर लहू विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी [[कोशिका]]एं [[तिल्ली]] में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ [[अस्थि मज्जा]] (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे [[शरीर]] में खून की कमी नहीं हो पाती।
|