"अनसूया": अवतरणों में अंतर
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एक बार ब्रह्मा, विष्णु व महेश उनकी सतीत्व की परीक्षा करने की सोची, जो की अपने आप में एक रोचक कथा है।
पतिव्रता देवियों में अनसूया का स्थान सबसे ऊँचा है। वे अत्रि-[[ऋषि]] की पत्नी थीं। उनके संबंध में बहुत सी लोकोत्तर कथाएँ शास्त्रों में सुनी जाती हैं। आश्रम में गये तो श्रीअनसूयाजी ने सीताजी को पातिव्रतधर्म की विस्तारपूर्वक शिक्षा दी थी। उनके संबंध में एक बड़ी रोचक कथा है। एक बार ब्रह्माणी, लक्ष्मी और गौरी में यह [[विवाद]] छिड़ा कि सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता कौन है? अंत में तय यही हुआ कि अत्रि पत्नी श्रीअनसूया ही इस समय सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता हैं। इस बात की परीक्षा लेने के लिये त्रिमूर्ती [[ब्रह्मा]], विष्णु व शंकर ब्राह्मण के वेश में अत्रि-आश्रम पहुँचे। अत्रि ऋषि किसी कार्यवश बाहर गये हुए थे। अनसूया ने अतिथियों का बड़े आदर से स्वागत किया। तीनों ने अनसूयाजी से कहा कि हम तभी आपके हाथ से भीख लेंगे जब आप अपने सभी <ref>http://www.lordsiva.in/?q=node/11</ref><ref>https://www.shortstories.co.in/atri-and-anusuya/</ref>
==इन्हें भी देखें==
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