"गुरिल्ला युद्ध": अवतरणों में अंतर

छो ऑटोमैटिड वर्तनी सुधार
पंक्ति 6:
 
== परिचय व इतिहास ==
साधारण युद्धों के साथ ही छापामार युद्धों का भी प्रचलन हुआ। सबसे पहला छापामार युद्ध 360 वर्ष ईसवी पूर्व चीन में सम्राट् हुआंग से अपने शत्रु सी याओ (Tse yao) के विरुद्ध लड़ा था। इसमें सी याओ (Tse yao) हार गया। इंग्लैड के इतिहास में छापामार युद्ध का वर्णन मिलता है। केरेक्टकर (Caractacur) ने दक्षिणी वेल्स के गढ़ से छापामार युद्ध में रोमन सेना को परेशान किया था। भारत में छापामार युद्ध का सर्वप्रथम प्रयोग [[महाराणा प्रताप]] ने अकबर के विरूद्ध किया था। बाद में उनसे प्रेरित होकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने मलेंछो के खिलाफ किया।मराठो के इन छापामार युद्धों ने शक्तिशाली मुगल सेना का आत्मविश्वास नष्ट कर दिया। शंताजी घोरपड़े और धनाजी जाधव नाम के सरदारों ने अपने भ्रमणशाली दस्तों से सारे देश को पदाक्रांत कर डाला। जब मुगल सेना आक्रमण की आशा नहीं करती थी, उस समय आक्रमण करके उन्होंने प्रमुख मुगल सरदारों को विस्मित और पराजित किया। मराठों की सफल छापामार युद्धनीति ने मुगल सेना के साधनों को ध्वस्त कर दिया और उनके अनुशासन और उत्साह को ऐसा नष्ट कर दिया कि सन् 1706 ई. में औरंगजेब को अपनी उत्तम सेना को अहमदनगर वापस बुलाना पड़ा और अगले वर्ष औरंगजेब की मृत्यु हो गई। छापामार मराठे अपने मजबुत घोडो पर सवार होकर चारों ओर फैल जाते, प्रदाय रोक लेते, अंगरक्षकों के कार्य में बाधा डालते और ऐसे स्थान पर पहुँचकर, जहाँ उनके पहुँचने की सबसे कम आशा होती, लूटमार करते और सारे प्रदेश को आक्रांत कर देते। इस युद्धनीति ने मुगलों की कमर तोड़ दी, उनके साधनों को नष्ट कर दिया इनकी फुर्ती के कारण मुगल सेना इनको पकड़ न सकी। इसी लिए स्पेन के छापामारों ने प्रायद्वीपीय युद्ध में और रूस के अनियमित सैनिकों ने मास्को के युद्ध में नैपोलियन की नाक में, दम कर दिया। अमरीकी क्रांति में कर्नल जान एस. मोसली इत्यादि प्रमुख छापामार थे। इन्हें अपने शत्रुओं को बड़े प्रभावशाली ढंग से धमकाया और परेशान किया इस क्रांति में छापामार युद्धों ने एक नई दिशा ली। अब तक युद्ध राज्यों द्वारा लड़े जाते थे। किंतु अब यह राष्ट्रीय विषय बन गया और नागरिक भी व्यक्तिगत रूप से इसमें सम्मिलित हो गए।
 
== युद्धनीति ==