"गोंड (लोककला)": अवतरणों में अंतर
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गोंड कला लोककला का ही एक रूप है। जो गोंड जनजाति की उपशाखा परधान जनजाति के कलाकारों द्वारा चित्रित की जाती है। जिसमें गोंड कथाओं,गीतों एवं कहानियों का चित्रण किया जाता है जो परम्परागत रूप से परधान समुदायों के द्वारा गोंड देवी देवताओं को जगाने और खुश करने हेतु सदियों से गायी जाती चली आ रही हैं। प्रायः परधान लोग गोंड समुदायों के यहाँ कथागायन करने हेतु जाया करते थे। जो उनकी जीविका का साधन था। जब परधानों के कथागायन की परंपरा कम हो गयी तब परधान कलाकार जनगढ़ सिंह श्याम ने इस गोंड कथागायन की परंपरा को चित्रकला के माध्यम से साकार करना प्रारम्भ किया।<ref>{{cite web |url=https://www.khabarstreet.com/gond-art-a-unique-specimen-of-tribal-art |title=गोंड कला: जनजातीय कला का नायाब नमूना |publisher=खबर स्ट्रीट.कॉम |accessdate=8 अगस्त 2021|archive-date=8 अगस्त 2021 |url-status=dead }}</ref>
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