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संदर्भ
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[[भारत]] की अनेक जातियों व जनजातियों में पीढी दर पीढी चली आ रही पारंपरिक कलाओं को लोककला कहते हैं। इनमें से कुछ आधुनिक काल में भी बहुत लोकप्रिय हैं जैसे [[मधुबनी]] और कुछ लगभग मृतप्राय जैसे [[जादोपटिया चित्रकला|जादोपटिया]]।
 
[[कलमकारी]], [[कांगड़ा]], [[गोंड]], [[चित्तर]], [[तंजावुर]], [[थंगक]], [[पातचित्र]], [[पिछवई]], [[पिथोरा चित्रकला]], [[फड़]], [[बाटिक]], [[मधुबनी]], [[यमुनाघाट]] तथा [[वरली]]<ref>{{cite web |url=https://www.khabarstreet.com/worli-painting-primitive-art-covering-tribalism |title=आदिवासियत को समेटे आदिम कला- वर्ली पेंटिंग |publisher=खबर स्ट्रीट.कॉम |accessdate=5 अगस्त 2021 |archive-date=5 अगस्त 2021 |url-status=dead |archive-url=https://web.archive.org/web/20210805120320/https://www.khabarstreet.com/worli-painting-primitive-art-covering-tribalism/ }}</ref> आदि भारत की प्रमुख लोक कलाएँ हैं।
 
== रामायण, महाभारत एवं पौराणिक गाथाओंका लोककला मंचन ==