"अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद": अवतरणों में अंतर
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20वीं सदी में [[महात्मा गांधी|गाँधीजी]] ने [[प्राकृतिक चिकित्सा|कुदरती उपचार]] को आरोग्य का एकमात्र साधन मानकर ग्राम्य संस्कृति पर आधारित [[योग]] व [[प्राकृतिक चिकित्सा]] के प्रचार प्रसार के निमित्त 23 मार्च 1946 को ऊरूलीकाचन, [[पूना]] में निसर्गोपचार आश्रम का शुभारम्भ किया। गाँधी की इच्छा "अपने चिकित्सक स्वयं बनो और स्वस्थ रहो" के कार्यक्रम को पूरे विश्व में फैलाने की रही है। गाँधी जी ने अपने प्रमुख सहयोगी [[बालकोवा भावे]] को इस पूरे निसर्गोपचार कार्यक्रम का उत्तरदायित्व सौंपा।
गाँधी जी की प्रेरणा से आरोग्य जीवन के साधक [[बालकोवा भावे]] जी के मागदर्शन में अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का गठन हुआ। स्वनामधन्य प्राकृतिक चिकित्सक डा0
कुछ ही वर्षों में परिषद की गतिविधियाँ पूरे भारत में फैल गईं। पूरे देश में चल रहे परिषद के कार्यों के राष्ट्रीय समन्वयन के लिए केन्द्रीय गाँधी निधि के सानिध्य में 15, राजघाट कालोनी, नई दिल्ली में कार्यालय स्थापित हुआ। परिषद की सभी गतिविधियाँ आज भी सक्रियता से चल रही हैं। अपने-अपने समय की स्वनामधन्य विभूतियों यथा ए. अरूणाचलम श्रीमन्नारायण,
योग व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार प्रसार के लिए परिषद अपनी शोध मासिक पत्रिका "स्वस्थ जीवन" का प्रकाशन करती रही है। परिषद की मासिक पत्रिका "परिषद प्रभा" अपने 11 हजार नियमित पाठकाें के साथ निंरतर प्रकाशित हो रही है।<ref>{{Cite web|url=http://yognature.org/publication.php|title=Publications {{!}} Akhil Bharatiya Prakritik Chikitsa Parishad|website=yognature.org|access-date=2021-04-21}}</ref>
==गतिविधियाँ<ref>{{Cite web|url=http://yognature.org/functions.php|title=About Parishad {{!}} Akhil Bharatiya Prakritik Chikitsa Parishad|website=yognature.org|access-date=2021-04-21}}</ref>==
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