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'''तालिबान आंदोलन''' (طالبان) जिसे [[तालिबान आन्दोलन|तालिबान]] या [[तालिबान आन्दोलन|तालेबान]] के नाम से भी जाना जाता है, एक [[सुन्नी इस्लाम|सुन्नी]] इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी [[अफ़ग़ानिस्तान]] में हुई थी। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। तालिबान इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं। इसकी सदस्यता [[पाकिस्तान]] तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है। 1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था। उसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित कर रखा था। तालेबान आन्दोलन को सिर्फ [[पाकिस्तान]], [[सउदी अरब|सऊदी अरब]] और [[संयुक्त अरब अमीरात]] ने ही मान्यता दे रखी थी। अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुँचाने के लिए तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है।<ref>{{Cite web |url=http://www.bhaskar.com/article/INT-afghan-president-election-and-taliban-4571364-PHO.html?seq=4 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=5 अप्रैल 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140407065452/http://www.bhaskar.com/article/INT-afghan-president-election-and-taliban-4571364-PHO.html?seq=4 |archive-date=7 अप्रैल 2014 |url-status=live }}</ref>
 
== उदय ==
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== सामाजिक प्रतिबंध ==
तालिबान ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के पश्तून इल।इलाकों में वायदा किया था कि अगर वे एक बार सत्ता आते हैं तो सुरक्षा और शांति कायम करेंगे। वे इस्लाम के साधारण शरिया कानून को लागू करेंगे। हालाँकि कुछ ही समय में तालिबान लोगों के लिए सिरदर्द साबित हुआ। शरिया कानून के तहत महिलाओं पर कई तरह की कड़ी पाबंदियां लगा दी गईं थी। सजा देने के वीभत्स तरीकों केजके कारण अफगानी समाज में इसका विरोध होने लगा।<ref>{{Cite web |url=http://www.bhaskar.com/article/INT-afghan-president-election-and-taliban-4571364-PHO.html?seq=4 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=5 अप्रैल 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140407065452/http://www.bhaskar.com/article/INT-afghan-president-election-and-taliban-4571364-PHO.html?seq=4 |archive-date=7 अप्रैल 2014 |url-status=live }}</ref>
*तालिबान ने शरिया कानून के मुताबिक अफगानी पुरुषों के लिए बढ़ी हुई दाढ़ी और महिलाओं के लिए बुर्का पहनने का फरमान जारी कर दिया था।
*टीवी, म्यूजिक, सिनेमा पर पाबंदी लगा दी गई। दस वर्षउम्र की उम्र के बाद लड़कियों के लिए स्कूल जाने पर मनाही थी।
*तालिबान ने 1996 में शासन में आने के बाद लिंग के आधार पर कड़कड़े कानून बनाए। इन कानूनों ने सबसे ज्यादा महिलाओं को प्रभावित किया।
*अफगानी महिला को नौकरी करने की इजाजत नहीं दी जाती थी।
*लड़कियों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद कर दिए गए थे।
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*पुरुष डॉक्टर्स द्वारा महिला रोगी के चेकअप पर पाबंदी से कई महिलाएं मौत के मुंह में चली गई।
*कई महिलाओं को घर में बंदी बनाकर रखा जाता था। इसके कारण महिलाओं में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ने लगे।{{cn}}
तालिबान ने अब 2021 में अफगानिस्तान पर पूरी तरीके से कब्जा कर लिया है।
 
== सन्दर्भ ==
== अब अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए हैं। ==
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