"अलंकार (संगीत)": अवतरणों में अंतर

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[[संगीतरत्नाकर|संगीत रत्नाकर]]{{Ref_label|संगीतरत्नाकर|क|none}} के अनुसार, नियमित वर्ण समूह को '''अलंकार''' कहते हैं। सरल शब्दों में, स्वरों के नियमानुसार चलन को अलंकार कहते हैं। अलंकारों को बहुत से लोग ''पलटा'' भी कहते हैं। '''अलंकार''', [[संगीत]] के अभ्यास का प्रथम चरण होतें हैं। शास्त्रीय गायन तथा वादन के क्षेत्र मे विद्यार्थियों को सर्वप्रथम अलंकारो का अभ्यास करवाया जाता है। वाद्य के विद्यार्थियों को अलंकार के अभ्यास से वाद्य पर विभिन्न प्रकार से उंगलियां घुमाने की योग्यता हासिल होती है वहीं गायन क्षेत्र से जुड़े लोगो को इस के नियमित अभ्यास से कंठ मार्जन मे विशेष सहायता मिलती है।